जलवायु परिवर्तन कृषि और दुग्ध उत्पादन को भी प्रभावित करेगा-नाबार्ड अध्यक्ष

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 01 फ़रवरी 2018, 9:12 PM (IST)

चंडीगढ़। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष डॉ० हर्ष कुमार भनवाला ने कहा कि संघीय बजट में मछली पालन व सम्बंधित गतिविधियों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान करने और दूध प्रसंस्करण क्षेत्र में आधारभूत ढ़ांचा विकसित करने के लिए नाबार्ड में 8000 करोड़ रुपये का कोष गठित करने का एक सराहनीय कार्य किया गया है।

डॉ. हर्ष कुमार भनवाला ने आज आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन बफ़ेलोज़, हिसार के तत्वाधान में आयोजित नवीं एशियाई बफ़ेलो कांग्रेस की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी। इस सम्मेलन का विषय ‘सुदृढ़ आजीविका हेतु जलवायु अनुकूलित भैंस उत्पति’ था। इस सम्मेलन में लगभग 150 विदेशी और 400 भारतीय प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।उन्होंने सम्मेलन को सम्बोंधित करते हुए अपने अभिभाषण में खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने और डेयरी किसानों की आय में स्थायी आधार पर सुधार करने पर बल दिया, क्योंकि दुग्ध उत्पादन भारत के 69 प्रतिशत कृषकों का द्वितीयक व्यवसाय है जोकि सकल आय में एक तिहाई योगदान देता है। ग्रामीण परिवारों और भूमिहीन ग्रामीण परिवारों की सकल आय का आधा हिस्सा दुग्ध व्यवसाय से आता है। इसके अलावा, कृषि जीडीपी का एक चौथा हिस्सा पशुधन क्षेत्र से आता है और इस क्षेत्र को ग्रामीण इलाकों में सूखे से बचाव का एक प्रभावी उपाय भी माना जाता है, क्योंकि यह स्थानीय रूप से उत्पादित फसल के अवशेषों का उपयोग कर किसानों को नियमित आय प्रदान करता है। पशुओं की उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में चेतावनी देते हुए डॉ. हर्ष कुमार भनवाला ने कहा कि अंतत: वर्तमान उत्पादन पद्धतियां कम लाभ देंगी और किसानों की आय में कमी होने की आशंका है। नाबार्ड इस विषय में नयी परियोजनाओं में सहभागी बनाने के लिए तत्पर है। इसी प्रकार, जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले वर्षों में ताजे पानी की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण भैंसों की उत्पादकता प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकती है। उन्होंने ग्रामीण समृद्धि को स्थापित करने के लिए टिकाऊ और न्याय संगत कृषि को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों की भी जानकारी दी। डॉ. भनवाला ने सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक (एसएचजीबी) द्वारा आयोजित एक मेगा के्रडिट कैंप में भी भाग लिया जहां उन्होंने स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्यों और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के तहत वित्त पोषित उद्यमियों के लिए स्वीकृति पत्र और चेक वितरित किए। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्यों और उद्यमियों की एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने देश के जनसंख्या के बड़े हिस्से को बैंकिंग प्रणाली के अंतर्गत लाने के लिए एसएचजी बैंक लिंकेज कार्यक्रम, ई-शक्ति परियोजना के अंतर्गत एसएचजी के रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण, भूमिहीन किसानों के लिए जीएलजी स्कीम के तहत ऋण सुविधा, आजीविका के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग हेतु जागरूकता पैदा करने के लिए तथा सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को नवीनतम तकनीक अपनाने के लिए नाबार्ड की वित्तीय सहायता की जानकारी दी। उन्होंने वित्तीय समावेशन निधि के अंतर्गत हरियाणा राज्य में मोबाइल वैन तथा जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने, रुपे किसान कार्ड के वितरण और माइक्रो एटीएम लगवाने के लिए अब तक कुल 42.42 करोड़ रुपये की राशि खर्च करने की जानकारी भी दी। इसके अतिरिक्त नाबार्ड द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को ‘गो डिजिटल’ कार्यक्रम आयोजित करने तथा प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) मशीन लगाने के लिए भी वित्तीय सहायता दी गई है। डॉ. भनवाला ने बैंकों से ‘स्वयं सहायता समूहों के डिजिटलीकरण’ कार्यक्रम में सम्पूर्ण सहभागिता करने का आवाहन किया। इस अवसर पर उन्होंने सर्व हरियाणा ग्रामीण के के्रडिट कार्ड और पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन का शुभारंभ किया तथा वित्तीय साक्षरता के संदेश को प्रसारित करने के लिए नाबार्ड द्वारा प्रायोजित एक मोबाइल वैन का उदघाटन किया।

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