प्रदर्शनी के जरिए पंजाब विभाजन की पीड़ा दिखाएगा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 30 जनवरी 2018, 4:00 PM (IST)

कुरुक्षेत्र। हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी का दूसरा वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन पहली से 3 फरवरी तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में आयोजित किया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। इस अवसर पर वे अकादमी द्वारा विभाजन पर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन भी करेंगे।

अकादमी के निदेशक प्रो. रघुवेन्द्र तंवर ने बताया कि शिक्षा मंत्री प्रो.रामबिलास शर्मा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एच. एस. चट्ठा, संस्कृति मंत्री कविता जैन और सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर भी सम्मेलन की शोभा बढ़ाएंगे। उन्होंने बताया कि अकादमी देश में पहली बार विभाजन पर राष्ट्रीय स्तर की एक चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन कर रही है जिसमें 1947 के पंजाब विभाजन की पीड़ा और पुनरूस्थापन को दिखाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अकादमी ने डॉ. मंगल सैन द्वारा विधानसभा में दिए भाषणों और वक्तव्यों पर आधारित दो ग्रंथों का प्रकाशन भी किया है जिनका विमोचन इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा किया जाएगा।

प्रो. तंवर ने बताया कि अकादमी के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में मध्यकालीन राजस्थान इतिहास के विख्यात विद्वान एवं आईसीएचआर के राष्ट्रीय फैलो प्रो. के.एस. गुप्ता तथा जम्मू-कश्मीर विषय के गहन जानकार पदम्श्री जवाहर लाल कौल विशेष व्याख्यान देंगे। इसके अतिरिक्त भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य प्रो. सरदिंदू मुखर्जी, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. एस.सी. मित्तल और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. खुराना भी अपने अनुभवों से शोधार्थियों को रू-ब-रू कराएंगे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सचिव डॉ. बालमुकुन्द पांडेय, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलपति प्रो. के.सी. अग्निहोत्री, सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल (आईएएस) विशिष्ट अतिथि होंगे।उन्होंने बताया कि हरियाणा इतिहास एवं संस्कृति अकादमी शोधार्थियों के लिए एक खजाना साबित हो रही है और युवा शोधार्थी इस सम्मेलन से बहुत कुछ सीख रहे हैं। उन्होंने बताया कि तीन दिन तक चलने वाले इस राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रसिद्ध विद्वान इतिहास पर गहन मंथन करेंगे और शोधार्थी अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में चार विषय होंगे जिसमें से प्रथम विषय ‘प्राचीन काल में हरियाणा’ के अंतर्गत वैदिक साहित्य और सरस्वती विरासत का महत्व, कला और वास्तुकला, धार्मिक प्रथाएं, नृत्य, पोशाक, कृषि और अर्थव्यवस्था तथा विज्ञान व प्रोद्यौगिकी, दूसरे विषय ‘मध्यकालीन हरियाणा’ के अंर्तगत विदेशी आक्रमणों के प्रतिरोध, अर्थव्यवस्था और ग्रामीण जीवन तथा वास्तुकला और कला, तीसरे विषय ‘1947 में पंजाब विभाजन’ तथा अंतिम विषय ‘हरियाणा और सशस्त्र बल’ पर मंथन किया जाएगा और शोधार्थी अपने शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगे।

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