JLF-2018 : सिर्फ संघ परिवार का हिन्दुत्व ही हिन्दुत्व नहीं है - शशि थरूर

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 27 जनवरी 2018, 7:27 PM (IST)

जयपुर। कांग्रेस सांसद और लेखक शशि थरूर ने कहा कि आज यह साबित करना जरूरी हो गया है कि सिर्फ संघ परिवार का हिन्दुत्व ही हिन्दुत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री संविधान को पवित्र पुस्तक बताते है, और दूसरी तरफ अपनी सरकार में दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर काम करने के निर्देश देते है, जबकि दीनदयाल उपाध्याय ने संविधान को खारिज कर दिया था और उनके खारिज करने का एक गहरा कारण यह भी था कि संविधान उनके हिन्दू राष्ट्र की विचारधारा का समर्थन नहीं करता।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शनिवार को अपनी किताब व्हाए आय एम हिन्दू पर चर्चा करते हुए थरूर ने कहा कि यह किताब मैंने इसीलिए लिखी है कि मै हिन्दू हूं और हिन्दुत्व की उस विचारधारा को मानता हूं जो दूसरों को सम्मान देना और स्वीकार करना सिखाती है।


उन्होंने कहा कि अपनी उदार विचारधारा के लिए हिन्दू 21वीं सदी के लिए सबसे उपयुक्त धर्म है, लेकिन इसकी उदार विचारधारा को संकीर्णता ने हाइजैक कर लिया है। इसे बचाना है तो उन लोगों को मुखर हो कर बोलना होगा जो हिन्दूत्व की उदार विचारधारा को मानते है।
यह इतनी उदार विचारधारा है कि सबको साथ ले कर चलने को कहती है। यह गाय के नाम पर लोगों को मारना नहीं सिखाती, लेिकन आज हिन्दुत्व को बहुत संकीर्ण विचारों में बाध दिया गया है। इसे बहुत छोटा कर दिया गया है। आज बात एकता की नहीं हो रही है आज बात हो रही है सबको एक जैसा बनाने की। यह विचार न विवेकानंद के थे और न ही पुरातन हिन्दू विचारधारा में थे।

उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म की पहली शिक्षा जो मुझे अपने पिता से मिली कि वे अपनी पूजा में किसी और को शामिल नहीं करते थे, यानी हिन्दू धर्म में ईश्वर की प्रार्थना व्यक्तिगत है। उन्होंने कहा कि आज यदि हम फिल्म देखे बिना ही उसका इतना विरोध होते देख रहे हैं कि लोग दूसरे की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोक रहे हैं तो मानना चाहिए कि कुछ न कुछ गड़बड़ है।
धर्म निरपेक्षता के बारे में थरूर ने कहा कि इस सम्बन्ध में मैं संघ की विचारधारा से सहमत हूं कि धर्म निररेक्षता नहीं, बल्कि पंथ निरपेक्षता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस देश मेें हर काम धर्म से जुडा है, वहां धर्म निरपेक्षता कैसे हो सकती है। पंथ निरपेक्षता का विचार ही ज्यादा सही लगता है जो कहता है कि शासन स्वयं को हर तरह के पंथ से दूर रखे।


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