निमरत कौर ने कहा, शर्मिंदगी के चलते महिलाएं इसके खिलाफ...

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 21 जनवरी 2018, 2:40 PM (IST)

नई दिल्ली। हॉलीवुड अभिनेत्रियों की तरह बॉलीवुड की अभिनेत्रियां अपना शोषण करने वालों का नाम खुलकर क्यों नहीं लेतीं और उन्हें शर्म क्यों नहीं महसूस करातीं? अभिनेत्री निमरत कौर का कहना है कि इससे पहले कि इस बारे में महिलाओं पर सवाल खड़े करने से पहले कानून व्यवस्था को निर्विवाद रूप से काम करना चाहिए और पीडि़तों को समर्थन देकर उनमें निडर बनने का आत्मविश्वास जगाना चाहिए।

हॉलीवुड निर्माता हार्वे वींस्टीन पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगने के बाद कई हॉलीवुड अभिनेत्रियों ने अपने साथ हुए यौन दुव्र्यवहार के बारे में खुलकर बात की, लेकिन बॉलीवुड में स्थिति इसके उलट रही। यह पूछे जाने पर कि बॉलीवुड में किसी यौन उत्पीडऩ करने वाले का नाम क्यों नहीं लिया गया तो निमरत ने मुंबई से रिकॉर्डेड बातचीत में आईएएनएस को बताया, भारत में कामकाजी माहौल में महिलाओं के सामने आकर बोलने के लिए कानून प्रणाली निर्विवाद होनी चाहिए और इसे कहीं भी किसी भी पीडि़त, जो किसी भी प्रकार के उत्पीडऩ से गुजरी हो, उसको सहयोग देने और उसके अंदर निडरता की भावना कायम करने में सक्षम होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यौन उत्पीडऩ के मामले को किसी महिला से पूछताछ से पहले गहराई से देखा जाना चाहिए कि आखिर महिलाएं क्यों अपने प्रति किए गए अपराधों के बारे में बताने के लिए सामने नहीं आती हैं? निमरत ने कहा, एक समाज के रूप में हमें मजबूत और अधिक दृढ़ बनने और महिलाओं में निर्भयता की भावना जगाने की जरूरत है। अभिनेत्री ने कहा कि शर्मिंदगी के चलते महिलाएं इसके खिलाफ नहीं बोलती हैं। ऐसी कई धारणाएं जैसे परिवार को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है और बदनामी के चलते पीडि़ताएं अपनी बात नहीं कह पाती हैं।


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उन्होंने कहा, आधे से ज्यादा मामलों में महिलाएं इसलिए नहीं सामने आती क्योंकि उन्हें जो कानूनी सहारा मिलता है, उस पर उन्हें भरोसा नहीं होता। फिल्म एयरलिफ्ट की अभिनेत्री ने कहा कि महिलाओं के सामने आकर बोलने के लिए जमीनी स्तर पर मानसिकता में बदलाव लाना होगा। निमरत (35) ने कहा कि महिलाओं के अंदर प्रणाली, सरकार और कानूनी दृष्टिकोण को लेकर भरोसा व आत्मविश्वास जगाना होगा।

वेवर्ड पाइन्स और होमलैंड जैसी विदेशी टेलीविजन श्रृंखलाओं में काम कर चुकीं अभिनेत्री निमरत कौर ने कहा कि सांस्कृतिक रूप से हम भले ही पश्चिम से बहुत अलग हैं, लेकिन पश्चिम से हमें श्रम की गरिमा सीखने की आवश्यकता है। अभिनेत्री ने अपनी वेब श्रृंखला द टेस्ट केस के लिए संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, हम सांस्कृतिक रूप से पश्चिम से बहुत अलग हैं, लेकिन मुझे लगता है कि पश्चिम से श्रम की गरिमा को निश्चित रूप से सीखा जा सकता है।

उन्होंने कहा, स्पॉट बॉयज से लेकर कलाकार तक सभी एक जैसा भोजन खाते हैं। इससे काम का माहौल अच्छा होता है। एक कलाकार होने के नाते हम विशेषाधिकार प्राप्त कर चुके हैं, क्योंकि निर्माता हमारा अच्छे से ख्याल रखते हैं। लेकिन हमारे साथ काम करने वाले अन्य लोग लंबे समय तक काम करते हैं और लोगों की ऐसी परिस्थिति देखकर मुझे बहुत बुरा लगता है।

द टेस्ट केस भारत की पहली महिला कॉमबेट अधिकारी की कहानी है। एक महिला सेना अधिकारी की भूमिका निभाने की तैयारी के बारे में बात करते हुए निमरत ने बताया कि इसके लिए उन्हें खाने की आदतों को पूरी तरह बदलना पड़ा। द टेस्ट केस 26 जनवरी को रिलीज होगी।

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