संकट में केजरीवाल सरकार, दिल्ली में अभी हुए चुनाव तो किसको होगा फायदा?

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 20 जनवरी 2018, 11:28 AM (IST)

नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों पर संकट मंडरा रहा है। आरोप है कि दिल्ली विधानसभा के इन सदस्यों ने विधायक रहते संसदीय सचिव का पद भी धारण किया। चुनाव आयोग इन्हें दोषी मान चुका है और सभी को अयोग्य ठहराने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर चुका है। चुनाव आयोग की सिफारिश पर अगर राष्ट्रपति की मुहर लग जाती है और इन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो ऐसी स्थिति में भी आप की सरकार बरकरार रहेगी। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर दिल्ली में फिर से चुनाव हुए तो कौन जीतेगा।

इन सीटों पर चुनाव होने की स्थिति में बीजेपी और कांग्रेस के पास दिल्ली विधानसभा में अपनी स्थिति बेहतर करने का मौका मिल सकता है। लेकिन, केजरीवाल सरकार के लिए बड़ी परेशानियां खड़ी हो सकती है। एक सर्वे की मानें तो 20 सीटों पर अगर अभी दिल्ली विधानसभा के उप चुनाव हुए तो आप को 12 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। आप सिर्फ 8 सीटें ही जीत सकती हैं। बाकी 8 सीटों पर बीजेपी और चार पर कांग्रेस की जीत हो सकती है।

क्यों हो सकता है केजरीवाल को नुकसान

-आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो फिर चुनाव होंगे और मौजूदा हालात में केजरीवाल के लिए ये सीटें बचाना बहुत मुश्किल होगा। लेकिन, बीजेपी और कांग्रेस को काफी फायदा हो सकता है।

- राज्यसभा ने भेजे जाने से कुमार विश्वास खफा हैं। बताया जाता है कि कुमार को कई विधायकों को समर्थन प्राप्त हैं। ऐसे में चुनाव होते हैं तो आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव नहीं लड़ पाएगी।

- स्थानीय निकाय चुनाव के बाद से आप कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है। तब उत्तरी दिल्ली नगर निगम में भाजपा को 64 सीट मिली थी, जबकि आप को 21 सीट से संतोष करना पड़ा था। दक्षिण दिल्ली नगर निगम में भाजपा को 70 और आप को 16 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस 12 सीटों पर सिमट गई थी।

-गुजरात चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने 33 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे, जिनमें से एक भी नहीं जीत सका। उल्टा अधिकांश प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।

-दिल्ली के ऐसे हालात के बीच भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। खबर है कि कांग्रेस ने 2015 के विधानसभा चुनावों में हारे प्रत्याशियों की बैठक भी बुला ली है और आगे की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। भाजपा खेमे से भी ऐसी की खबर है।

इस वजह से आप के 20 विधायकों की सदस्यता पर लटकी तलवार




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-राष्ट्रपति को दी गई याचिका में कहा गया था संसदीय सचिव लाभ के पद पर है। वो सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्हें मंत्री के ऑफिस में जगह दी गई है।

-संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ऐक्ट 1991 की धारा 15 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लाभ के पद पर है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है।

-संसदीय सचिव शब्द दिल्ली विधानसभा की नियमावली में है ही नहीं. वहां केवल मंत्री शब्द का जिक्र किया गया है।

- दिल्ली विधानसभा ने संसदीय सचिव को लाभ के पद से बाहर नहीं रखा है।

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