न्यायाधीश लोया की मौत की जांच न्यायालय की निगरानी में हो : कांग्रेस

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 15 जनवरी 2018, 9:56 PM (IST)

नई दिल्ली। कांग्रेस ने न्यायाधीश बी.एच. लोया की मौत की जांच न्यायालय की निगरानी में कराने की सोमवार को मांग की। कांग्रेस ने इस बात से इंकार किया कि वह इस मामले का राजनीतिकरण कर रही है, और कहा कि यह मामला भारतीय लोकतंत्र के एक प्रमुख अंग से जुड़ा हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘‘कोई भी यह नहीं कह रहा है कि कांग्रेस पार्टी एक जांच आयोग गठित करेगी। यह पूरी चर्चा कि पार्टी मामले का राजनीतिकरण कर रही है, बिल्कुल झूठ है।’’

सिंघवी ने कहा, ‘‘भारतीय लोकतंत्र का एक जिम्मेदार हिस्सा होने के नाते एक पार्टी के रूप में हम एक जांच की मांग कर रहे हैं। देश न्यायालय की निगरानी में एक जांच चाहता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरी टिप्पणी का सर्वोच्च न्यायालय के संकट से कोई लेना-देना नहीं है। मैं समझता हूं कि इस देश के प्रत्येक नागरिक और प्रत्येक राजनीतिक दल को उनके निधन की एक निष्पक्ष और गहन जांच की मांग करने का स्वतंत्र रूप से अधिकार है।’’

सिंघवी ने यह भी कहा, ‘‘यदि कोई मामला भारतीय लोकतंत्र के एक प्रमुख अंग से संबंधित हो, तो जिम्मेदार घटकों द्वारा जांच की मांग जायज है, और यह इस बात पर निर्भर नहीं करता कि परिवार का कोई सदस्य जांच चाहता है या नहीं।’’ कांग्रेस की यह मांग ऐसे समय में सामने आई है, जब एक दिन पूर्व न्यायाधीश लोया के बेटे अनुज लोया ने कहा कि उनके परिवार को निधन को लेकर कोई संदेह नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें प्रताडि़त और परेशान किया जा रहा है।

सिंघवी ने कहा, ‘‘मैंने न्यायाधीश लोया के पुत्र अनुज लोया द्वारा फरवरी 2015 में लिखा गया पत्र पढ़ा है। पत्र बहुत खास है... लिखित में जांच की मांग की गई है...उसके बाद न्यायाधीश लोया की एक बहन अनुराधा बियानी द्वारा जाहिर किया गया एक स्पष्ट संदेह गंभीर प्रकृति का है।’’ सिंघवी ने कहा, ‘‘मैंने न्यायाधीश लोया की एक अन्य बहन सरिता मंधाने द्वारा जाहिर किए गए स्पष्ट संदेह का भी जिक्र किया है। उन्होंने भी गंभीर संदेह जताया है।’’

सिंघवी ने कहा कि न्यायाधीश लोया के पिता और उनके एक चाचा ने भी उनके निधन पर संदेह जताया है, और कहा है कि एक नागरिक, परिवार के सदस्य और एक व्यक्ति होने के नाते भी उनकी जांच होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश लोया एक दिसंबर, 2014 को नागपुर में कथित तौर पर हृदयाघात के कारण निधन हो गया था, जब वह एक साथी न्यायाधीश की बेटी की शादी में शामिल होने वहां गए थे।

न्यायाधीश लोया उस समय सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ के संवेदनशील मामले को देख रहे थे, जिसमें भारतीय जनता पार्टी भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह एक प्रमुख आरोपी थे। इसके अलावा गुजरात पुलिस के कई शीर्ष पुलिस अधिकारी भी उसमें आरोपी थे। सिंघवी ने कहा, ‘‘सार्वजनिक और राष्ट्रीय हित के किसी मामले की जांच इस बात पर निर्भर नहीं होती कि कोई इसकी मांग कर रहा है, या खंडन कर रहा है या इसका विरोध कर रहा है।’’

--आईएएनएस


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