लोहड़ी उत्तर भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। इसे पंजाब
के लोगों के लोगों द्वारा सबसे धूमधाम से मनाया जाता है। पंजाब के
अतिरिक्त यह त्योहार हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और
जम्मू-कश्मीर के भी कई हिस्सों में जोर शोर से मनाया जाता है। माना जाता है
इस दिन साल का सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होती है। यह पर्व फसल कटाई
के मौके पर बोनफायर जलाकर मनाया जाता है। बोनफायर के चारों तरफ लोग घूमकर
नाचते हैं और अग्नि में प्रसाद डालते हैं।
लोहड़ी का शुभ मुहूर्त --
लोहड़ी के पर्व की पंजाब में अलग ही धूम होती है। यह पर्व भांगड़ा और गिद्दा के
लिए फेमस है। कहा जाता है इस दिन किसान खेत में आग जलाकर अग्नि देवता से
अपनी जमीन को आशीर्वाद देकर उसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने की प्रार्थना करता
हैं। पूजा के बाद सभी को प्रसाद बांटा जाता है। लोहड़ी का शुभ मुहूर्त शाम
को 6 बजे के बाद होता है। इस साल 13 जनवरी शनिवार को देश और विदेश में
लोहड़ी का यह पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस त्योहार को आप
सूर्यास्त के बाद थोड़ा अंधेरा होने के बाद यानी शाम 6 बजे के बाद कभी भी
सेलिब्रेट कर सकते हैं।
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लोहडी मनाने की खास वजह--
इस पर्व को मनाने
के पीछे खास वजह यह होती है कि इस दिन के बाद से किसानों के नए आर्थिक साल
की शुरूआत होती है। पंजाब समुदाय के लोग इस पर्व को परिवार, दोस्तों और
रिश्तेदारों के साथ मिलकर सेलिब्रेट करते हैं। लोहड़ी शाम को सभी लोग इक्_ा
होकर घर के आंगन या मोहल्ले के बीच में लकड़ी उपले इक्_े कर जलाते हैं।
इसकी अग्नि में लोग घूम-घूमकर नांचते हैं साथ ही गुड़, रेवड़ी, गजक और
फुल्ले का प्रसाद डालते हैं। पूजा करने के बाद लोग प्रसाद को बांटते हैं।
कई लोग यह प्रसाद अपने पड़ोसियों के घर जाकर वितरित करते हैं।
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तिल, गुड़ और चावल की खीर--
इस
दिन सरसों दा साग, मक्के की रोटी बनाई जाती है। कुछ लोग इस दिन तिल, गुड़
और चावल से बनी खीर खाते हैं। यह पर्व नए विवाहित जोड़े और शिशुओं के लिए
महत्वपूर्ण होता है। इस दिन छोटे बच्चे घर-घर जाकर लोहड़ी की बधाई मांगते
हैं। लोग बच्चों को लोहड़ी बधाई के रूप में खाने-पीने के चीजें देते हैं।
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