जयपुर। मकर सक्रांति को लेकर गुलाबी नगरी जयपुर के सभी बाजार रंग-बिरंगी पतंगों से सजे नजर आ रहे हैं। इस साल भी बरेली का मांझा सबसे ज्यादा डिमांड में है तो वहीं, पतंगों में चाइनीज की डिमांड ज्यादा। लेकिन जीएसटी और मंहगाई के चलते पतंग बाजार की हालत खराब हो चली है।
मकर सक्रांति पर जयपुर में पतंगबाजी पूरे परवान पर होती है। राजा-रजवाड़ों के समय से चली आ रही यह परंपरा आज भी जीवित है। इस दिन परकोटा इलाके में पतंगबाजी का खास उत्साह देखने को मिलता है। इसी को लेकर राजधानी में पतंगों और मांझे की काफी बिक्री होती है। जयपुर के रामगंज स्थित हांडीपुरा बाजार पतंगों का प्रमुख बाजार माना जाता है।
जनवरी के आते ही यह पूरा बाजार पतंगों से सज धज कर तैयार हो जाता है। इस बार पतंगों का यह बाजार कुछ फीका नजर आ रहा है। पतंग व्यापारी सिराज और बदरूद्दीन ने बताया कि इस जीएसटी की मार पतंगबाजी पर ज्यादा पड़ी है। इसके चलते कच्चा माल भी मंहगा आ रहा है। इसी के चलते बाजार में पंतगे भी मंहगी है।
इस बार बाजार में कागज की जगह पॉलिथीन की पतंगों और बरेली के मांझे की खासी डिमांड है। ये डिजाइनर पतंगे 1 रूपए लेकर 100 रूपए तक में मौजूद है। बरेली का मांझा भी 80 रूपये से लेकर 300 रूपए प्रति रील के हिसाब से बाजार में उपलब्ध है। पतंग कारोबारियों की मानें तो इस बार जीएसटी का सीधा असर पतंगबाजी और पतंग कारोबार पर दिख रहा है। जीएसटी के चलते पतंग बाजार करीब 40 फीसदी ही रह गया है। रही सही कसर इंटरनेट और मोबाइल गेम्स ने पूरी कर दी है। गेम्स के चलते बच्चों में पतंगबाजी का शौक कम हो गया है ।
राजा रजवाड़ों की नगरी जयपुर पतंगबाजी के लिए खास प्रसिद्ध रही है। लेकिन मंहगाई और इंटरनेट के बढ़ते चलन ने इस पुरानी परंपरा को खत्म सा कर दिया है। ऐसे में पतंग और मांझा बनाने से जुड़े सैकड़ों परिवारों की रोजी रोटी पर भी संकट खड़ा होता नजर आ रहा है।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे