खाओ दही रहों सही
आप ने यह तो सुना ही होगा कि खाओ दही रहों सही, यह बात गलत नहीं है। दही में इतने ही गुण होते हैं जिसके खाने से शरीर में बीमारी से लडने की शक्ति तो होती है। साथ ही यह दही को चेहरे पर चमक भी लाता है। गर्मियों के दिनों में दही की लस्सी पीने से बहुत फायदा होता है। दूध को गरम करके जो दही जमाया जाता है वह खाने में बहुत अच्छा होता है तासीर में ठंडा, चिकना, हल्का, यह भूख को भी बढता है। बूरा मिला दही पित्त, खून विकार तथा दाह का नाख्प करता है। दही में गुड मिला कर वातनाशक, पुष्टिकारक और पचने में भारी होता है बिना मलाई वाला दही दस्त को बांधता है किंतु मलाइ्र युक्त दही दस्तावर है। दही में जो ऊपर पानी होता है उसे दही का तोड कहते है। इसका स्वाद कसैला, गरम, खट्टा पित्तकारक, रूचिकारक, ताकतवर और हल्का होता है। इसको दस्त, कब्ज, पीलिया , दमा, तिल्ली वायुरोग में फायदेमंद होता है। अतिसार के रोगियों को कम से कम 100 ग्राम दही का सेवन करना चाहिए। दही का स्वाद में कई प्रकार का होता है। जैसें- मीठा, फीका, खट्टा, बहुत खट्टा।
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मीठा दही- खाने से वातपित्त को खत्म कर देता है साथ ही इसका सेवन करने से
शरीर को भार बढता है यह मेदे और कफ का नाश करता है और खून का शोधन करता है ।
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खटमिट्टा दही- यह दही मीठे दही तरह ही गाढा होता है इस दही में तुर्शी रहती है।
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फीका
दही- ये स्वाद में फीका जरूर होता है। लेकिन इसके फायदे अनेक होते है
1-अधिक यूरीन लाने वाला और दाह करने वाला होता है। साथ ही फीका दही दस्तावर
भी होता है।
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खट्टा दही-खट्टा दही भूख न होने पर भी भूख बढता है, और इससे पित्तरक्त, कफ पैदा करता है।
बहुत
खट्टा दही- ये दही दांतों को खट्टा तो करता ही हैं और इसको खाते ही शरीर
के रोएं तक खडे हो जाते है। बहुत खट्टे दही को खाने से रक्त पित्त रोग पैदा
होता है साथ में गले में जलन शुरू होने लगती है।
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