J&K और पूर्वोत्तर में अफस्पा के नियमों में बदलाव का विचार कर रही है केंद्र सरकार

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 11 जनवरी 2018, 08:37 AM (IST)

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) के नियमों में बदलाव के लिए केंद्र सरकार विचार कर रही है। इस ऐक्ट को लेकर काफी विवाद है और इसके दुरुपयोग का आरोप लगा लंबे समय से इसे हटाने की मांग की जा रही है। केंद्र सरकार अब पुनर्विचार कर रही है कि कैसे इसे मानवीय और हल्का बनाया जाए जिससे ऐक्ट के दुरुउपयोग को रोक सके।

बताया जा रहा है कि रक्षा और गृअ मंत्रालय के बीच अफस्पा को हटाने या इसके प्रावधानों में बदलाव करने के लिए कई दौर की उच्च स्तरीय वार्ता हुई है। ये बातचीत एक्स्ट्रा जूडिशल किलिंग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और पिछले सालों में इसे लेकर एक्सपर्ट कमिटी की तरफ से आए सुझावों के आलोक में हुईं हैं। विशेषकर ये चर्चाएं अफस्पा के सेक्शन 4 और 7 पर केंद्रित रही है। इसके तहत आतंकविरोधी अभियानों में सुरक्षाबलों को असीमित अधिकार और लीगल सुरक्षा मिलती रही है।

उदाहरण के लिए सेक्शन 4 को ही लें जो सुरक्षाबलों को किसी भी परिसर की तलाशी लेने और बिना वॉरंट किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। इसके तहत विवादित इलाकों में सुरक्षाबल किसी भी स्तर तक शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं। संदेह होने की स्थिति उन्हें किसी भी गाड़ी को रोकने, उसकी तलाशी लेने और उसे सीज करने का अधिकार होता है।



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अफस्पा को हटाने या उसके प्रावधानों बदलाव करने की पहले भी कई कोशिशें हुईं हैं लेकिन सफलता नहीं मिली। रक्षा मंत्रालय और सेना की तरफ से जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों से विवादित अफस्पा को हटाने या इसके कुछ प्रावधानों को शिथिल करने के हर प्रयास का विरोध हुआ है।

सुरक्षाबलों का तर्क है कि सबसे पहले 1958 में पूर्वोत्तर में विद्रोहियों से निपटने के लिए संसद की तरफ से लागू किया गया अफस्पा जवानों को जरूरी अधिकार देता है। उनके तर्क के मुताबिक इस कानून की मदद से काफी खतरनाक स्थितियों में आतंकी या दूसरे खतरों से जूझ रहे जवानों को कार्रवाई में सहयोग मिलने के साथ-साथ सुरक्षा भी मिलती है।

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