नई दिल्ली। बल्लेबाज फैज फजल की कप्तानी में विदर्भ की क्रिकेट टीम ने सोमवार को इतिहास रच दिया। उसने इंदौर में खेले गए पांच दिवसीय फाइनल में सात बार की चैंपियन दिल्ली को 9 विकेट से रौंद पहली बार रणजी ट्रॉफी जीत ली। खास बात ये है कि विदर्भ 61वें प्रयास में यह कमाल करने में सफल रहा।
विदर्भ ने पहली बार 1957-58 में रणजी ट्रॉफी में हिस्सा लिया था और इस सत्र में शुरुआत से पहले 260 मैच खेल लिए थे। विदर्भ के अलावा दो टीमों ने ही पहला रणजी खिताब जीतने में ज्यादा समय लिया था। गुजरात ने 83 और उत्तर प्रदेश ने 72 सत्र के बाद खिताब पर कब्जा जमाया था।
इस मामले में राजस्थान चौथे नंबर पर है, जिसने पहला खिताब जीतने के लिए 60 सीजन लिए थे। विदर्भ रणजी ट्रॉफी जीतने वाली 18वीं टीम है। फाइनल में दिल्ली ने पहली पारी में 295 और दूसरी पारी में 280 रन बनाए। विदर्भ पहली पारी में 547 रन बनाने के बाद दूसरी में 32/1 रन बनाकर मैच जीत गया। इस मुकाबले में दिल्ली की कमान ऋषभ पंत के हाथों में थी।
अब हम देखेंगे रणजी ट्रॉफी से जुड़े 5 और दिलचस्प रिकॉर्ड :-
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इस दशक में रणजी को तीन नए चैंपियन मिले हैं। राजस्थान ने 2010-11 के सत्र
में पहला खिताब जीता था, जबकि गुजरात ने पिछले सत्र में। इससे पिछले दशक
में भी दो नए विजेता रहे थे। रेलवे ने 2001-02 और उत्तर प्रदेश ने 2005-06
में खिताब पर कब्जा जमाया था।
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फाइनल में मैन ऑफ द मैच चुने गए
विदर्भ के दाएं हाथ के तेज गेंदबाज रजनीश गुरबानी ने नॉकआउट स्टेज पर 14.11
के औसत से 27 विकेट चटकाए। वे इस मामले में दूसरे स्थान पर रहे गेंदबाज से
12 विकेट आगे रहे। गुरबानी क्वार्टर और सेमीफाइनल में भी मैन ऑफ द मैच
रहे। गुरबानी ने फाइनल में हैट्रिक जमाई और वे ऐसा करने वाले दूसरे गेंदबाज
बने। उनसे पहले 1972-73 के फाइनल में तमिलनाडु के बी. कल्याणसुंदरम ने
मुंबई के खिलाफ हैट्रिक ली थी।
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दाएं हाथ के बल्लेबाज वसीम जाफर का
यह 9वां रणजी ट्रॉफी फाइनल था। वे आठ फाइनल मुंबई और एक विदर्भ के लिए खेल
चुके हैं। खास बात ये है कि इन सभी मौकों पर जाफर की टीम चैंपियन बनी। जाफर
ने पहला फाइनल 1996-97 के सत्र में खेला था। मुंबई के लिए 18 सत्र खेलने
के बाद वे 2015-16 में विदर्भ से जुड़े। पिछले साल मुंबई ने 20 साल में
जाफर के बगैर फाइनल खेला और वह पहली बार हार गई।
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इस सत्र में
विदर्भ के चार बल्लेबाज 50 से ज्यादा के औसत से 500 से ज्यादा रन बनाने में
सफल रहे, जो सर्वाधिक है। दिल्ली और कर्नाटक के 3-3 बल्लेबाज इस आंकड़े तक
पहुंचे। विदर्भ के कप्तान फैज फजल, संजय रामास्वामी, गणेश सतीश व जाफर ने
500 से ज्यादा रन बनाए। फजल व रामास्वामी इस सत्र में सर्वाधिक रन बनाने के
मामले में क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे।
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विदर्भ के तीन गेंदबाजों रजनीश गुरबानी, अक्षय वाखरे व आदित्य सरवटे ने इस सत्र में 25 से भी कम औसत से 25 से ज्यादा विकेट चटकाए, जो सर्वाधिक है। दिल्ली, कर्नाटक व गुजरात के 2-2 गेंदबाज ही यह कमाल दिखा पाए। गुरबानी व वाखरे इस सत्र में सर्वाधिक विकेट चटकाने के मामले में टॉप-5 गेंदबाजों में शुमार हैं।
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