चंडीगढ़। पंजाब कला परिषद्, चंडीगढ़ द्वारा आधुनिक पंजाबी साहित्य के पितामह
भाई वीर सिंह की 145 वर्षगांठ मनाई गई। इस अवसर पर हुये एक सेमीनार में
प्रो. अवतार सिंह ने भाई वीर सिंह के व्यक्तित्व व कत्तव्यपर्याणता विषय
पर संक्षिप्त भाषण दिया। उन्होंने कहा कि उनकी रचनाएं बस्तीवाद के विरोध वाली और पंजाबी संस्कृति को पुख्ता करने वाली थी।
सेमीनार की अध्यक्षता कर रहे डा. तेजवंत गिल ने भाई वीर सिंह की
रचनाओं के विचारधारक परिपेक्ष को उजागर करते हुये उनके सांस्कृतिक व समाजिक
महत्व पर प्रकाश डाला। पंजाब कला परिषद् के अध्यक्ष डॉ.
सुरजीत सिंह पातर ने भाई वीर सिंह की ऐतिहासिक भूमिका और वर्तमान
प्रासंगिकता संबंधी जानकारी देते हुये विद्वानों का अभिनंदन किया।
विचार-चर्चा में हरपाल सिंह, दीवान माना, सुरिंदर गिल, केवल धालीवाल
और डॉ. साहिब सिंह शामिल हुये।सेमीनार का संचालन पंजाब
कला परिषद् के सचिव जनरल, डॉ. लखविंदर सिंह जौहल ने किया। सेमीनार में अन्य
प्रमुख व्यक्तियों में श्रीराम अर्श, प्रेम गौरखी, सरबजीत कौर सौहल, तेजा
सिंह थूहा, सुनील कुमार, अवतार सिंह, दीपक शर्मा चरनाथल, सुखी बराड़,
प्रौ. राजपाल सिंह आदि विद्वान शामिल थे।
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