केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की किल्लत, प्रवासी पक्षियों ने दूसरी जगह डाला डेरा

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 04 दिसम्बर 2017, 11:20 AM (IST)

भरतपुर। विश्व विरासत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को इन दिनों पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि यहाँ आए प्रवासी पक्षी पेंटेड स्टोर्क अब अन्य जगहों पर कूच कर चुके हैं। अब यह माना जा रहा है कि इसका प्रभाव विदेशी पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों की यहाँ आने वाली संख्या पर भी पड़ेगा।

दरअसल केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है, जिससे यहाँ स्थित झीलों के आठ ब्लॉक पानी से भर जाते हैं, जहाँ प्रवासी पक्षी पेंटेड स्टोर्क प्रजनन करते हैं और पानी से मछली, वनस्पति को खाते हैं व अपने नवजात शिशुओं को खिलाते है लेकिन पानी नहीं होने और झीलों के सूखी होने से पक्षियों को खाने के लिए कुछ नहीं मिल पा रहा है जिससे पक्षी यहाँ से अन्य जगहों पर जा रहे है।


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केवलादेव उद्यान के निदेशक अजीत उचोई ने बताया कि जिले में वरसात नहीं होने से सूखा है और अन्य जगहों से यहाँ पानी आता था, वह भी नहीं आ रहा है जिससे पानी की किल्लत बनी हुई है, लेकिन विगत 17 अक्टूबर को वन मंत्री गजेंद्र खींवसर से मुलाकात के बाद चम्बल पेयजल परियोजना से उद्यान के लिए 150 एमसीएफटी पानी छोड़ने का प्रावधान हुआ है, जिससे इस सीजन को बचाया जा सकेगा। केवलादेव उद्यान को 10 मार्च 1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला था और 1985 में इसे विश्व विरासत की सूची में शामिल कर लिया गया था लेकिन वर्ष 2008 में पानी की किल्लत के चलते यूनेस्को ने इसे डेंजर जोन की सूची में डाल दिया था।

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