शीत ऋतु में शरीर को प्राकृतिक रूप से पौष्टिक
तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं। यही वह समय भी है, जब शरीर की ऊर्जा में
बढोतरी होती है और स्वस्थ रहने के लिए अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पडता।
सर्दियों में जितने विटमिंस और पौष्टिक तत्व शरीर को मिलते हैं, वे साल भार
शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं।
हार्मोनल बदलाव
मेलाटोनिन ज्यादा
बढाता है, जिससे अनिद्रा और फटीग जैसी समस्याएं होती हैं। इनका कारण सूर्य
की रोशनी का अभाव है। इसेस महिलाएं में अवसाद पनपता है। यूं तो सर्दियों
छुट्टियां और खुशियां मनाने का मौसम है, लेकिन इस मौसम में कई आम समस्याएं
भी होती हैं। जैसे सीजनल एफेक्टिव डिसॉर्डर सेड, सांस संबंधी, कोल्ड-कफ,
वजन बढना, त्वचा का रूखा होना और गले में खराश।
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खानपान और शारीरिक गतिविधियों के बीच तालमेल हो। सर्दियों में वजन का थोडा
बढना बुरा नहीं है, लेकिन जो लोग पहले ही मोटे हैं, उनके लिए यह परेशानी का
सबब बन जाता है। ऐसे लोगों को संतुलित भोजन के साथ व्यायाम और शारीरिक
सक्रियता की जरूरत होती है।
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हालांकि सर्दियों में प्यास कम लगती है, लेकिन शरीर को हाइड्रेट करने के लिए कुछ समय पर पानी पीना जरूरी है। सर्दियों में मौसम रूखा भी होता है, इसमें त्वचा की स्वाभाविक नमी कम होती जाती है। इसे पानी से ही संतुलित किया जा सकता है।
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सर्दियों में धूप न मिलने के कारण विटमिन डी की कमी हो जाती है। ऐसे में
सीजनल एफेक्टिव डिसॉर्डर सेड जैसे समस्याएं हो सकती हैं। फिश में विटामिन
डी के साथ ही ओमेगा-3 फैटी एसिड्स की बहुतायत होती है, जिससे शरीर में
सेरोटोनिन स्तर बढता है और मूड बिगडने या अवसाद की स्थिति से बचाव होता है।
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दही से इम्यून सिस्टम सही होता है। फ्लेवर्ड या मीठे दही के बजाय सादे दही
का सेवन करें। दही को स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाने के लिए उसमें ताजे फल
मिलाएं।
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खाने की मात्रा पर ध्यान दें। कम मात्रा में दिन में कम से कम तीन बार भोजन करें। स्वादिष्ट होने के साथ ही खाना ताजा होना चाहिए।
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साबुत अनाज जैसे गेहू, ओट बाजरा, ब्राउन राइस, दलिया न सिर्फ सुपाच्य होता
है, बल्कि हृदय के लिए भी लाभकारी होता है। रिफाइंड या प्रोसेस्ड अनाज का
सेवन न करें, क्योंकि इसमें पौष्टिक तत्व कम हो जाते हैं।
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