नई दिल्ली। भारत के सिनेमा जगत के पितामह कहे जाने वाले वी. शांताराम को गूगल ने डूडल के जरिए उनके 116वां जन्मदिवस श्रद्धांजलि दी है। गूगल ने इस मौके पर एक खास डूडल बनाकर उनको समर्पित किया है। वी शांताराम का जन्म 18 नवंबर 1901 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। वी शांताराम का मूल नाम राजाराम वानकुदरे शांताराम था। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें अपनी पढाई बीच में ही छोडऩी पड गई थी। उनका रुझान बचपन से ही फिल्मों की ओर था और वे फिल्मकार बनना चाहते थे। वर्ष 1920 के शुरुआती दौर में वी. शांताराम बाबू राव पेंटर की महाराष्ट्र फिल्म कंपनी से जुडे गए और उनसे फिल्म निर्माण की बारीकियां सीखीं।
शांताराम ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1921 में आई मूक फिल्म सुरेख हरण से की थी। इस फिल्म में उन्हें बतौर अभिनेता काम करने का मौका मिला था।
जिस समय हिंदी फिल्म उद्योग अपने विकास के शुरूआती दौर में था, उसी समय एक ऐसा फिल्मकार भी था जिसने कैमरे, पटकथा, अभिनय और तकनीक में तमाम प्रयोग कर दो आंखें बारह हाथ, डॉ. कोटनीस की अमर कहानी, झनक झनक पायल बाजे और नवरंग जैसी कई बेमिसाल फिल्में बनाई। लंबे फिल्मी सफर में हिंदी और मराठी भाषा में कई सामाजिक फिल्में देने वाले शांताराम ने शिक्षा ग्रहण नहीं की थी, लेकिन फिल्म सिनेमा के छात्रों के लिए उनकी फिल्में पाठ्यपुस्तक हैं।
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शांताराम का रुझान शुरू से ही फिल्मों की ओर था। वह फिल्मकार बनना
चाहते थे। फिल्मों में करियर बनाने की शुरुआत में उन्होंने गंधर्व नाटक
मंडली में छोट-मोटे काम करने से की। कहा जाता है फिल्म जगत के पितामह वी.
शांताराम गंधर्व नाटक मंडली में पर्दा उठाने का काम किया करते थे।
वर्ष
1929 में उन्होंने प्रभात कपंनी फिल्मस की स्थापना की, प्रभात कंपनी के
बैनर तले वी. शांतराम ने गोपाल कृष्णा, खूनी खंजर, रानी साहिबा और उदयकाल
जैसी फिल्में निर्देशित की। शांताराम ने अपने छह दशक लंबे फिल्मी करियर में
लगभग 50 फिल्मों को निर्देशित किया। दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने वाले
महान फिल्मकार वी. शांताराम 30 अक्टूबर 1990 को इस दुनिया से विदा कर गए।
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