मंदिरों के साथ रानी पद्मिनी और महाराणा कुम्भा के शानदार महल हैं चित्तौड़गढ़ किले में

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 17 नवम्बर 2017, 1:12 PM (IST)

जयपुर/चित्तौड़गढ़। फिल्म पद्मावती के विरोध में शुक्रवार को बंद किया गया चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान का सबसे बड़ा किला है। इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किला पूर्ण रूप से पर्यटकों के लिए बंद किया गया हो। यह किला प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल है। जमीन से करीब 500 फुट ऊंचाई वाली पहाड़ी पर बना हुआ किला चित्तौड़गढ़ के शानदार इतिहास को बताता है।

चित्तौड़गढ- बूंदी रोड से लगभग 4 से 5 किमी की दूरी पर स्थित किले तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं है। किले में लगे सात दरवाजों के नाम भी हिंदू-देवताओं के नाम पर हैं। प्रथम प्रवेश द्वार पैदल पोल के नाम से जाना जाता है, जिसके बाद भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोली पोल, लक्ष्मण पोल और अंत में राम पोल है, जो सन 1459 में बनवाया गया था। किले की पूर्वी दिशा में स्थित प्रवेश द्वार को सूरज पोल कहा जाता है। इस किले में कई सुंदर मंदिरों के साथ-साथ रानी पद्मिनी और महाराणा कुम्भा के शानदार महल हैं। किले में कई जल निकाय हैं जिन्हें वर्षा या प्राकृतिक जलग्रहों से पानी मिलता रहता है। दुर्ग अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। यहां अक्टूबर से मार्च के बीच पर्यटकों की भारी आवक होती है।

राजपूत शौर्य के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान रखने वाला चित्तौड़गढ़ किला 7वीं से 16वीं शताब्दी तक सत्ता का एक महत्वपूर्ण केंद्र होता था। माना जाता है कि 7वीं शताब्दी में मोरी राजवंश के चित्रांगद मोरी ने इसका निर्माण करवाया था। किले के लंबे इतिहास के दौरान इस पर तीन बार आक्रमण किए गए। पहला आक्रमण सन 1303 में अलाउद्दीन खलिजी ने, दूसरा सन 1535 में गुजरात के बहादुरशाह ने और तीसरा सन 1567-68 में मुगल बादशाह अकबर ने किया था। इसकी प्रसिद्ध स्मारकीय विरासत की विशेषता इसके विशिष्ट मजबूत किले, प्रवेश द्वार, बुर्ज, महल, मंदिर, दुर्ग तथा जलाशय स्वयं बताते हैं जो राजपूत वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं।

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