गुरुग्राम। विश्व क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) दिवस के मौके पर ब्ल्यूएयर ने स्वच्छ हवा और फेफड़ों के स्वास्थ्य पर लोगों को जागरूक करने के लिए एक नई पहल की है। इस पहल के तहत ब्ल्यूएयर ने 10 हजार लोगों को एन-95 प्रदूषण रोधी मास्क वितरित किए। यह कार्यक्रम 15 से 17 नवंबर तक साइबर हब, गुरुग्राम में आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. नरेश शर्मा, अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन गुरुग्राम, डॉ.हिमांशु गर्ग अर्टिमिस हॉस्पिटल और पर्यावरणविद रुचिका सेठी थीं।
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए ब्ल्यूएयर इंडिया के कंट्री हैड अरविंद छाबड़ा ने कहा, "दिल्ली एनसीआर भारत के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक है। ऐसे में प्रदूषित वायु में सांस लेने के अदृश्य खतरों की पहचान करना बहुत आवश्यक है। मौजूदा आंतरिक प्रदूषण कणों के साथ मिलकर बाहरी प्रदूषण 5 गुणा अधिक प्रदूषित हो सकता है। घर के अंदर की वायु को हमेशा स्वस्थ रखने के लिए एयर प्यूरीफायर सबसे प्रभावी उपाय हैं।"
अर्टिमिस हॉस्पिटल में पल्मोनॉलॉजी निदेशक डॉ. हिमांशु गर्ग ने कहा, "क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक शब्द है जिसका इस्तेमाल फेफड़ों की बीमारियों के एक समूह के वर्णन में किया गया है जिसमें क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस, एमफिस्मा और अस्थमा शामिल हैं। यह छठा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है और जल्द ही तीसरा हो जाएगा। माना जाता है कि ये धूम्रपान के कारण हो सकता है लेकिन अब प्रदूषण को इसमें एक मजबूत योगदानकर्ता माना जाता है जो हाल के महीनों में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ रहा है।"
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 6 करोड़ लोग मध्यम से गंभीर सीओपीडी से पीड़ित हैं। इनमें से 2005 में सीओपीडी से 30 लाख की मृत्यु हो गई और विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक यह लोगों की मौतों का तीसरा सबसे आम कारण होगा।
--आईएएनएस
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