आखिरकार पश्चिम बंगाल ने ओडिशा से जीती ‘रसगुल्ले’ की जंग

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 14 नवम्बर 2017, 4:24 PM (IST)

कोलकाता। रसगुल्ले पर अपने हक को लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा सरकार के बीच पिछले कई वर्षों से चल आ रहे विवाद पर अब लगाम लग गई है। मंगलवार को आए फैसले में रसगुल्ले की आधिकारिक पहचान पश्चिम बंगाल के नाम हो गई है। अब पश्चिम बंगाल को रसगुल्ले के लिए भौगोलिक पहचान (जीआई) टैग मिल गया है। इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ट्वीट कर खुशी का जताई है। पश्चिम बंगाल को रसगुल्ले के लिए भौगोलिक पहचान (जीआई) टैग मिलने के बाद ममता बनर्जी ने ट्वीट किया कि सभी के लिए खुशी की खबर है, हम काफी खुश और गर्व महसूस कर रहे हैं कि बंगाल को रसगुल्ले की भौगोलिक पहचान का टैग मिल गया है।

आपको बता दे कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बीच इस बात को लेकर कई साल से खींचतान से चल रही थी कि आखिर रसगुल्ले का ईजाद कहां हुआ? पश्चिम बंगाल सरकार का कहना था कि रसगुल्ले का ईजाद उनके राज्य में हुआ है जबकि ओडिशा ने इसे अपना बताया था। पश्चिम बंगाल के खाद्य प्रसंस्करण मंत्री अब्दुर्रज्जाक मोल्ला का कहना था कि बंगाल रसगुल्ले का आविष्कारक है।


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पश्चिम बंगाल की ओर से दावा था कि रसगुल्ला की ईजाद उनके राज्य से ही हुआ था। 1868 से पहले ही मशहूर मिठाई निर्माता नवीन चंद्र दास ने इसे बनाया था। लेकिन मामले जब सभी की नजरों में आया तब ओडिशा की ओर से इसके लिए टैग मांगा गया था। ओडिशा सरकार में मंत्री प्रदीप कुमार ने 2015 में दावा किया था कि रसगुल्ला ओडिशा का है। पिछले 600 साल से रसगुल्ला ओडिशा में है। उन्होंने इसे भगवान जगन्नाथ के प्रसाद से भी जोड़ा था। उनका दावा था कि रसगुल्ला के इस्तेमाल पिछले 300 साल से पुरी की रथयात्रा में भी हो रहा है।

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