नई दिल्ली। दिल्ली व एनसीआर में हवा की गुणवत्ता सोमवार शाम सीवियर प्लस या इमरजेंसी श्रेणी में लौट आई। इसके मद्देनजर निगरानी एजेंसियों ने अगले कुछ घंटों में हवा में विषाक्तता बढऩे का अनुमान लगाया है। हवा में पीएम2.5 व पीएम10 का स्तर बढऩा जारी है, लेकिन केंद्र व दिल्ली सरकार दोनों का दावा है कि दोपहर बाद हवा की गुणवत्ता में आंशिक रूप से सुधार हुआ, जिससे राहत मिली। वहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण निवारण और नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए डीजल गाडिय़ों और थर्मल पॉवर प्लान्ट टेम्परेरी तौर पर बंद करने का सुझाव दिया है। यह सुझाव ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के तहत दिए गए हैं।
ईपीसीए ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। ईपीसीए ने कहा है कि सभी गाडिय़ों पर ऐसे स्टिकर लगाए जाने चाहिए जिन पर उस गाड़ी के फ्यूल टाइप और उसकी उम्र (यानी गाड़ी कितनी पुरानी है) जैसी जानकारियां हों। इनमें से भी कुछ खास तरह की गाडिय़ों को सडक़ों से हटाया जाना चाहिए। ईपीसीए ने ये भी साफ कर दिया है कि पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलाई जाने वाली पराली ही हालात बिगाडऩे के लिए जिम्मेदार नहीं है।
कोयले से चलने वाले थर्मल पॉवर प्लान्ट और ऐसी ही इंडस्ट्रीज बंद कर देनी चाहिए। डीजल से चलने वाली गाडिय़ों को बैन किया जाना चाहिए। या इन पर पीयूसी (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट) स्टिकर लगाए जाने चाहिए। इससे ये पता लगेगा कि खतरा किस हद या कैटेगरी का है। इसी आधार पर इन गाडिय़ों को रोका जा सकता है।
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दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सोमवार शाम चार बजे 463 के
साथ 460 यूनिट पर पीएम2.5 रिकॉर्ड किया गया। पूरे दिल्ली व एनसीआर के लिए
औसत 455 यूनिट था, यह 452 यूनिट पर पीएम2.5 था। अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृत
सीमा पीएम2.5 के लिए 25 यूनिट (माइक्रोग्राम प्रति धन मीटर) की है। पीएम2.5
का मतलब है कि हवा में 2.5मीमी से कम व्यास वाले कण हैं।
पूरे
एनसीआर में गाजियाबाद सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा, जहां चार बजे पीएम2.5,
848 यूनिट पर रहा। यह सुरक्षित सीमा से 33 गुना रहा। द सिस्टम ऑफ एयर
क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने कहा कि मौसम कारकों की
वजह से दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ दिख सकता है, इसकी
स्पष्ट तस्वीर मंगलवार को उभरकर सामने आएगी।
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