पति जिसका शरीर एक दम आम इंसान के जैसा होता है वही नाक वही आँख और वही दो पैर और दो कान, तो पति में भगवान ऐसा कौन सा अंग जोड़ देते है जो वह पति से परमेश्वर बन जाता है। क्या पति के पास जादूई छड़ी होती है या चमत्कार करने कि ताकत, जो आदमी को पति से सीधा परमेश्वर बना दिया जाता है। इसलिए आज हम लड़कियों व समाज के लिए कुछ ऐसे तथ्य सामने लाएं है, जो साबित करता है कि पति परमेश्वर नहीं बल्कि एक आम इंसान ही होता है जिसे अंग्रेजी भाषा में मेंगो पीपल भी कहा जाता है।
अगली स्लाइड में क्लिक कीजिए और जानिए क्यों कहा जाता है पति को परमेश्वर..
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अक्सर आपने पंडितों को और बड़े बुज़ुर्गों को कहते सुना होगा कि पति परमेश्वर होता है, इसलिए कभी पति से बहस नहीं करनी चाहिए और कभी भी पत्नी को अपने मर्यादा नहीं लांघनी चाहिए व पति का आदर करना चाहिए। इसी के चलते कवारी लड़कियां सोलह सोमवार का व्रत रखती जिससे उन्हें पति नहीं बल्कि परमेशवर मिले। लड़की के पैदा होने से मरने तक उनको इस अन्धविश्वास में रख जाता है ताकि वे हमेशा अपनी मर्यादा में रहे और उनसे पैरों कि धुल बनी रहें। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि क्यों कभी लड़कों को व्रत रखने को नहीं जाता, क्यों लड़कों को नहीं कहा जाता कि लड़कियां लक्ष्मी होती है उनका आदर करें।
जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी ग्रन्थ या पुराण में इन बात का जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन लोगो का मानना है कि ऐसा शहस्त्रों में लिखा है और कुछ इस बात को परंपरा बताते है।
जानकारी के लिए बता दें कि शास्त्रों में ऐसी किसी भी बातों का जिक्र नहीं है, हाँ गीता के तेरहवें अध्याय में जरूर लिखा है कि वह (आत्मा) देह में रहता हुआ भी देह से परे अर्थात संबंध रहित है। वह शरीर के साथ संबंध रखने से उपद्रष्टा, उसके साथ मिल कर सम्मति अथवा अनुमति देने से अनुमंता, अपने को उसका भरण-पोषण करने वाला मानने से भर्ता, उसके साथ सुख-दुख भोगने से भोक्ता और अपने को उसका स्वामी मानने से महेश्वर बन जाता है। लेकिन स्वरूप से यही परमात्मा कहा जाता है।
गीता में लिखे इस बात का अर्थ ये है कि आत्मा स्थित है, और वही शरीर कि स्वामी है फिर चाहे वो आदमी हो या औरत। फिर न जाने लोगों ने पति को परमेश्वर का दर्जा कैसे दे दिया।
जानकारी के लिए बता दें पहले के ज़माने में अक्सर लोग लिखने पढ़ने में संस्कृत भाषा का इस्तेमाल करते थे, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि संस्कृत में पुराने समय में जो भी लिखा गया वे शास्त्र है। आजकल लोग पंडितों द्वारा लिखी गई किताब को शास्त्र मान लेते है, भला गीता से बड़ा शास्त्र और क्या होगा, गीता में परमात्मा का जो स्वरूप बताया गया है, वह ऊपर उद्धृत है। तो फिर पति परमात्मा कैसे बन जाते हैं?
जैसे कि आप सभी जानते ही कि हिन्दू समाज के हिसाब से शादी के समय पति पत्नी 7 फेरे लेते है, जिसमे हर एक फेरे का अलग अलग मतलब होता है, उनमेसे एक फेरे का मतलब होता है कि दोनों एक दुसरे के सुख व दुःख में साथ दे, एक दुसरे का सम्मान करे। लेकिन जानकारी के लिए बता दें कि कहीं भी ऐसा नहीं कहा गया कि जिस तरह आत्मा इस देह की स्वामिनी है, उसी तरह पति भी स्वामी और परमेश्वर के समान होगा।