सेवारत डॉक्टरों के साथ रेजिडेंट्स भी हड़ताल पर, प्रदेश में चरमराई चिकित्सा व्यवस्था

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 10 नवम्बर 2017, 10:47 AM (IST)

जयपुर। सेवारत डॉक्टरों के इस्तीफे के कारण प्रदेश के अस्पतालों में पांच दिन से गड़बड़ा रही चिकित्सा व्यवस्था में मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में कार्यरत रेजिडेंट्स डॉक्टरों की हड़ताल ने कोढ़ में खाज का काम किया है। शुक्रवार सुबह से रेजिडेंट्स डॉक्टर भी काम पर नहीं आए। इससे अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लग गई। हालांकि एसएमएस अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यहां मरीजों को देखने के लिए वैकल्पिक इंतजाम कर लिए गए हैं। किसी प्रकार की परेशानी नहीं है। प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, सीनियर रेजिडेंट्स ने व्यवस्था संभाल रखी है। हालांकि गुरुवार देर रात सरकार के साथ वार्ता हुई, लेकिन वह भी विफल रही। वार्ता में रेजिडेंट्स की मांगों को भी मानने की बात उठाई गई। इसके लिए सरकार की ओर से अलग से वार्ता करने की बात कहने पर सभी डॉक्टर वार्ता छोड़कर चले गए थे। वार्ता बेनतीजा रहने के बाद सरकार ने सख्ती दिखाई। उधर, कोटा में पुलिस ने सुबह पांच डॉक्टरों के घर दबिश भी दी, लेकिन डॉक्टरों के भूमिगत होने की बात सामने आ रही है।

सेवारत डॉक्टरों की हड़ताल के पांचवें दिन रेडिजेंट्स डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया। इस कारण शुक्रवार सुबह एसएमएस अस्पताल में आउटडोर, इनडोर में व्यवस्थाएं चरमरा गईं। उपचार के लिए प्राइवेट अस्पताल में नहीं जा पाने वाले लोग लाइनों में लगे हुए डॉक्टरों का इंतजार कर रहे थे। उनके चेहरे पर रोष और परेशानी साफ झलक रही थी। मरीजों का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि रेजिडेंट्स भी हड़ताल पर चले गए हैं। वे यहां करीब 2-3 घंटे से डॉक्टरों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी डॉक्टर ही नहीं आए। उधर, चिकित्सा विभाग ने वैकल्पिक इंतजाम करने की बात कही है। अस्पतालों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, सीनियर रेजिडेंट्स ने व्यवस्था संभाल ली है। उधर, जयपुर के अलावा उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी हड़ताल के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सीनियर रेजिडेंट्स भी हड़ताल पर चले गए तो...

जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण व्यवस्था चरमराने पर प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, सीनियर रेजिडेंट्स ने व्यवस्था संभाली। हालांकि मरीजों की भीड़ अधिक होने के कारण स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में नहीं है। उधर, आशंका यह भी जताई जा रही है कि सेवारत डॉक्टरों और रेजिडेंट्स डॉक्टरों के दबाव के बाद अगर सीनियर रेजिडेंट्स भी हड़ताल पर चले गए तो प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था नियंत्रण से बाहर हो सकती है।

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