नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने नोटबंदी को लेकर बुधवार को मोदी सरकार पर हमला बोला और सवाल उठाया कि इसे नैतिक कदम कैसे कहा जा सकता है, जब नौकरियां नष्ट हो रही हैं और कई उद्योग बंद हो रहे हैं। ट्वीट की एक श्रृंखला में पूर्व वित्तमंत्री ने ठीक एक साल पहले सरकार के 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले पर हमला बोला। चिदंबरम ने कहा, वित्तमंत्री (अरुण जेटली) ने कहा कि नोटबंदी नैतिक था। क्या करोड़ों लोगों को परेशानी में डालना नैतिक था? खासकर 15 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों को? क्या यह नैतिक था कि 2017 में जनवरी से अप्रैल के बीच 15 लाख नियमित रोजगार नष्ट कर दिए गए?
उन्होंने कहा, क्या यह नैतिक था कि हजारों सूक्ष्म और छोटे उद्योगों को बंद कर दिया जाए? क्या सूरत, भिवंडी, मुरादाबाद, आगरा, लुधियाना और तिरुप्पुर के जैसे जीवंत औद्योगिक केंद्रों को नुकसान पहुंचाना नैतिक था? जेटली ने मंगलवार को नोटंबदी को नैतिक अभियान और नैतिक कदम करार दिया था। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस तथ्य को कोई खारिज नहीं कर सकता कि नोटबंदी के फैसले से लोगों को जान गंवानी पड़ी, छोटे उद्योग बंद हो गए और लोगों को अपनी नौकरियां खोनी पड़ीं।
उन्होंने कहा कि जल्द ही लोगों के हाथों में नकदी उसी स्तर पर पहुंच जाएगी, जिस स्तर पर 2016 के नवंबर से पहले थी। चिदंबरम ने कहा, लोगों के पास 15 लाख करोड़ रुपये की नकदी है, जो जल्द ही 2016 के नवंबर के स्तर 17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। वहीं, नोटबंदी के एक साल बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नकली नोटों के जरिए आतंकवादियों को किया जाने वाला वित्त पोषण जम्मू एवं कश्मीर तथा छत्तीतसगढ़ में कम हुआ है।
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जेटली कहा, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आतंकवादियों के वित्त पोषण में आश्चर्यजनक रूप से गिरावट आई है। हमें जम्मू एवं कश्मीर तथा छत्तीसगढ़ की सुरक्षा एजेंसियों से यह जानकारी मिली है कि नकदी का प्रवाह कम हुआ है। जम्मू एवं कश्मीर में पत्थर फेंकने की घटनाओं में कमी आई है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने एक साल आठ नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट को प्रतिबंधित कर दिया था।
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