पांच हजार मीटर वाले संस्थानों को कम्पोस्ट प्लांट लगाना अनिवार्य

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 06 नवम्बर 2017, 7:39 PM (IST)

जयपुर। अब पांच हजार वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी, शैक्षिक संस्थानों, नर्सिग होम, अस्पताल और सरकारी विभागों, निजी कंपनियों को अपने परिसर में गीले कचरे को प्रोसेस करना होगा। इसके लिए 30 नवंबर 2017 तक कम्पोस्ट प्लांट लगाना जरूरी होगा। इसके बाद उन पर कार्रवाई की जाएगी।
नगर निगम के आयुक्त रवि जैन ने बताया कि केन्द्रीय सरकार के विभागों अथवा उपक्रमों, राज्य सरकार के विभागों या उपक्रमों, स्थानीय निकायों, सार्वजनिक या प्राईवेट सेक्टर की कंपनियों, अस्पतालों, नर्सिंग होम, स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, अन्य शैक्षिक संस्थाओं, छात्रावासों, होटलों, रेस्टोरेन्टों, वाणिज्यिक संस्थानों, बाजारों, पूजा स्थलों, स्टेडियमों और खेल परिसरों द्वारा अधिकृत भवन जिनके द्वारा प्रतिदिन औसतन 100 कि.ग्रा. से अधिक अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं, उन्हें अपने परिसर में स्वयं के द्वारा अपने गीले कचरे को प्रोसेस करना होगा। उन्होंने बताया कि कि संस्थान, होटल, रेस्टोरेंट आदि गीले कचरे को अपने परिसर के अंदर ही प्रोसेस करके जैविक खाद या बायो गैस बनाएं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन ओर जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी किये गये बायो मेडिकल अपशिष्ट एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों की पालना करने में सहयोग प्रदान करे तथा ठोस नगरीय अपशिष्ट की पालना करने के लिए अपने-अपने संस्थानों के परिसर में जैव-अवक्रमणीय अपशिष्ट (बायो-डीग्रेडेबल वेस्ट) के निपटान /प्रोसेस के लिए आवश्यक क्षमता का कम्पोस्ट प्लांट 30 नवंबर 2017 तक लगाया जाना सुनिश्चित करें, अन्यथा संबंधित संस्थाओं के विरूद्ध कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन नियमों की पालना करने के लिए 8 अप्रेल 2016 को अधिसूचना जारी की गई।

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