मुंबई। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री विद्या बालन ने अपने बॉलीवुड करियर के केवल 12 वर्षों में ढेरों अलग-अलग तरह की भूमिकाएं निभाई हैं। फिल्म ‘तुम्हारी सुलू’ से वह एक जिंदादिल गृहिणी के रूप में दर्शकों के सामने आ रही हैं।
विद्या कहती हैं कि वह अपनी उम्र को लेकर बिल्कुल बेपरवाह हैं और उन्हें खुशी है कि उन्होंने पर्दे पर कभी भी ‘किशोरी’ का चरित्र निभाने की कोशिश नहीं की।
विद्या ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं 26 साल की उम्र में एक महिला के रूप में फिल्म उद्योग में आई थी। अब मैं 38 साल की एक खुशहाल गृहस्थ महिला हूं। मेरी शादी को पांच साल हो गए हैं। मुझे अपनी उम्र को लेकर कोई अफसोस नहीं है और मुझे पता है कि चाहें मेरी उम्र जो हो मेरे लिए हमेशा कुछ काम रहेगा। मैंने एक किशोरी की तरह अभिनय करने की कभी कोशिश नहीं की, लेकिन आप जानते हैं कि यह कभी एक सचेत निर्णय नहीं रहा है।’’
क्या वह ग्लैमरस भूमिकाएं निभाना नहीं चाहती, जिनके लिए बॉलीवुड नायिकाएं जानी जाती हैं।
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उन्होंने कहा, ‘‘किशोरी की भूमिका और पेड़ों के चारों ओर नाचना मुझे कभी
उत्साहित नहीं करता है। मुझे यह चीज उत्साहित करती है कि अपनी उम्र में मैं
भूमिकाओं और पात्रों के साथ क्या प्रयोग कर सकती हूं। शायद यही वजह है कि
सुरेश त्रिवेणी जैसे लेखक ने सुलू का चरित्र लिखा और फिल्म के लिए मुझसे
संपर्क किया।’’
क्या कुछ प्रकार की फिल्मों का चुनाव प्रतिभा को सीमित कर देता है?
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इस पर विद्या ने कहा, ‘‘मैं अपने तरीके से प्रयोग करती हूं। इस साल मैंने तीन फिल्में की और हर किरदार एक-दूसरे से अलग था। पिछले नवंबर, मैंने कहानी 2 की थी, इस साल मार्च में मेरी फिल्म बेगम जान आई और अब तुम्हारी सुलू आ रही है। इसलिए हां, मैं एक प्रस्तुतकर्ता के रूप में पर्याप्त प्रयोग कर रही हूं।’’
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‘तुम्हारी सुलू’ 17 नवंबर को रिलीज हो रही है।
सुलू के कौन-सी विशेषताएं विद्या को पसंद हैं?
इस
पर उन्होंने कहा, ‘‘वह बहुत आसानी हंसती है, वह बहुत उत्साही है। एक गृहणी
होने के बावजूद वह जीवन से और अधिक हासिल करने की कोशिश करती है। उसके पास
शौक की एक पूरी सूची है और वह अपने रास्ते में आने वाले हर मौके को गले
लगाती है।’’
आपके क्या शौक हैं? इस पर विद्या ने कहा, ‘‘नहीं, मेरे
कोई ज्यादा शौक नहीं हैं। मैं घर पर रहती हूं। मुझे घर साफ करना पसंद है।
मुझे किताबें पढऩा, फिल्में देखना पसंद है।’’
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मुंबई के एक
मध्यमवर्गीय दक्षिण भारतीय परिवार में पैदा और पली-बड़ी विद्या पारंपरिक
मूल्यों और प्रगतिशील मानसिकता के साथ बड़ी हुई हैं।
उन्होंने कहा,
‘‘आप जानते हैं कि मैं पहली पलक्कड़ अय्यर लडक़ी हूं, जिसने हिंदी फिल्मों
में अभिनेत्री के रूप में प्रवेश किया। एक समुदाय के रूप में हम बहुत
परंपरावादी हैं। हमारा ध्यान हमेशा पढ़ाई, शास्त्रीय नृत्य और संगीत पर
होता है। यहां अभिनय को पेशा के रूप में नहीं लिया जाता, लेकिन मुझे एक ऐसे
परिवार में जन्म मिला है, जहां मेरे माता-पिता ने मुझे और मेरी बहन को
उडऩे की आजादी दी।’’
(आईएएनएस)
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