चीन सीमा पर डोकलाम जैसे विवाद से निपटने के लिए भारत ने बनाया ये प्लान

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 06 नवम्बर 2017, 10:51 AM (IST)

नई दिल्ली। डोकलाम विवाद खत्म होने के बाद भारत पूरी तरह सतर्क हो गया है। वह चीन से लगने वाली सभी सीमाओं पर पैनी नजर गढाए हुआ है। ऐसे में भारत अब चीन सीमा पर सुरंग बनाने की प्लानिंग बना रहा है। केंद्र की इस प्लानिंग से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। आपको बता दें की चीन सीमा पर 73 सडक़ों पर काम पहले से ही जारी है। लेकिन, अब भारत एलएसी पर 17 भूमिगत सुरंगें बनाने की योजना बना रहा है। सडक़ों से भिन्न सुरंगें बनने से एलएसी तक पहुंचने की दूरी काफी कम हो जाएगी। साथ ही हर मौसम में संपर्क बना रहेगा। अगर डोकलाम जैसा विवाद फिर कभी हुआ तो भारी बर्फबारी में भी अहम जगहों पर सेना भेजी जा सकेगी। क्योंकि भारी बर्फबारी के समय सडक़ मार्ग बंद हो जाता है।

दूसरी बात ये भी है कि सुरंगों के मामले में जमीन अधिग्रहण और फॉरेस्ट क्लियरंस की भी जरूरत नहीं पड़ती है। सडक़ निर्माण में तमाम समस्याओं को देखते हुए बीआरओ अब बेहतर संपर्क के लिए सुरंगों के निर्माण की दिशा में काम कर रहा है। एक बीआरओ अधिकारी ने कहा कि एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ होते हुए लंबी सडक़ बनाने से अच्छा है कि सुरंग बनाई जाए। हिमस्खलन और भूस्खलन से भी बचा जा सकेगा। बीआरओ ने पूरी एलएसी पर 17 हाईवे सुरंगों (100 किमी) की योजना बनाई है। इनमें से कुछ पर काम शुरू भी हो चुका है। अभी फोकस लद्दाख पर है। लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक पूरी एलएसी पर सेना की चौकियां और आम जनता सालभर में करीब 6 महीने बारिश या बर्फबारी के कारण अलग-थलग हो जाती है। इसका सडक़ मार्ग से संपर्क टूट जाता है। ऐसे में जवानों या आपूर्ति को चौकियों तक पहुंचाने के लिए केवल एयर सपॉर्ट का ही विकल्प बचता है।



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डोकलाम विवाद के बाद भारत एलएसी पर 73 सडक़ों के निर्माण में तेजी से काम कर रहा है। इन सडक़ों के बनने से सीमावर्ती क्षेत्र में विकास कार्य भी सुनिश्चित होगा। बीआरओ को 61 सडक़ों की जिम्मेदारी सौंपी गई है और उसमें से 27 पर काम पूरा हो गया है। वैसे इस परियोजना पर काम 1999 में ही शुरू हो गया था पर सीमा पर चुनौतियां बढ़ती गईं। सबसे बड़ी समस्या भूमि अधिग्रहण की सामने आई। इसमें कई पक्ष थे, जिसमें केन्द्र, राज्य, वन अधिकारी और कई तरह के कानून आदि शामिल हैं। हाल ही में भारत की प्रमुख एजेंसी बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया था। सेमिनार में इस बात पर चर्चा हुई की सुरंगों के निर्माण में कौनसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाए। सेमीनार में डीएमआरसी, सडक़ यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय, रेलवे, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, सेना और ऐसे निर्माण कार्य से जुड़ी कई विदेशी फर्म ने हिस्सा लिया था।

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