सत्येंद्र शुक्ला
पणजी (गोवा)। उन्नत और उपजाऊ और किफायती खेती किस तरह की जाए, इसके लिए केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान धान की दो नई किस्में और काजू की चार नई किस्में इस साल 23 जनवरी 2017 को जारी कर चुका है। इन नई किस्मों से यहां के तटीय क्षेत्रों के किसानों को काफी फायदा हो रहा है।
केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक एकनाथ बी. चाकुरकर ने बताया कि धान को लेकर गोवा धान-1 और गोवा धान-2 नाम से दो नई किस्में जारी की जा चुकी हैं। गोवा धान-2 में धान का रंग लाल होता है, जो यहां होता है। इसके अलावा काजू की खेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान में काजू की गोवा कैश्यू-1, गोवा कैश्यू-2, गोवा कैश्यू-3 और गोवा कैश्यू-4 नाम की नई किस्में जारी की हैं।
चाकुरकर ने बताया कि यहां पर 46 हजार हैक्टेयर में धान की खेती होती है। इसे और किस तरह किफायती बनाया जाए, इसे देखते हुए धान की दो नई किस्में इस संस्थान ने ईजाद की हैं। सफेद और लाल धान दोनों यहां मिलता है। उन्होंने बताया कि काजू की अलग-अलग किस्मों के अलावा संस्थान ने खुद चार किस्में इजाद की हैं, जिससे किसानों को फायदा हो। इसके अलावा आम के पौधों की प्रजातियों पर भी संस्थान के वैज्ञानिकों ने कार्य किया है। करीब 20 से 25 हजार पौधे बनाकर संस्थान किसानों को दे चुका है। इसके अलावा तटीय क्षेत्रों में नारियल की खेती भी बहुत होती है। इसके लिए कंलगूट और बेनावली की प्रजाति से यहां के किसानों को फायदा हो रहा है। ताजा नारियल के सफेद दूध को उबाल कर जो तेल निकाला जाता है, वह खुले बाजार में 700 रुपए प्रति किलो तक बिकता है।
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संस्थान के निदेशक एकनाथ बी. चाकुरकर ने बताया कि आगामी 12 से 13 नवंबर को
31 सदस्यीय सांसदों का दल भी इस संस्थान के शोध कार्यों को देखने आएगा।
वहीं वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कैसे हो, इसके लिए केंद्रीय तटीय
कृषि अनुसंधान संस्थान अपने सुझाव दे चुका है।
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निदेशक एकनाथ बी.
चाकुरकर ने बताया कि किसान आत्महत्या नहीं करें, इसके लिए जरूरी है, हर
किसान पशुधन को भी बढ़ावा दे और पशुपालन को लेकर भी सजग रहे, जिससे कभी
आर्थिक संकट के वक्त पशुधन को बेचकर वह आय का साधन जुटा सके।
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