आरुषि हत्याकांड :7 मिनट के फैसले ने 9 साल बाद बदली तलवार दंपति की तकदीर

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017, 9:30 PM (IST)

नई दिल्ली। भारत के सनसनीखेज हत्याकांडों में से एक आरुषि हत्याकांड आज भी अनसुलझा है। 16-17 मई 2008 को हुए नाबालिग आरुषि तलवार और नौकर हेमराज के दोहरे हत्याकांड की गुत्थी आज भी उलझी है, इस मामले में गिरफ्तार बच्ची के परिजन दंतचिकित्सक दंपत्ति राजेश और नूपुर तलावर को अदालत ने बरी कर दिया है। गुरुवार को दोपहर 2.45 बजे दोनों जज हाईकोर्ट में पहुंचे और उन्होंने महज 7 मिनट में अपना फैसला सुना दिया। निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए हाईकोर्ट ने सूबतों के आभाव में डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार को बरी कर दिया। इस फैसले से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को तगड़ा झटका लगा है।
न्यायमूर्ति बी.के. नारायण और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र की खंडपीठ ने जांच एजेंसी की जांच में कई खामियां पाईं और राजेश तलवार और नूपुर तलवार को बरी कर दिया। न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा, जांच के दौरान सीबीआई तलवार दंपति के खिलाफ ऐसे सबूत पेश नहीं कर पाई, जिसमें उन्हें सीधे दोषी माना जा सके। ऐसे मामलों में तो सर्वोच्च न्यायालय भी बिना पर्याप्त तथ्यों और सबूतों के किसी को इतनी कठोर सजा नहीं सुनाता। अदालत ने आगे कहा, माता-पिता को सिर्फ इसलिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह घटना की रात घर में मौजूद थे। उन्हें इस मामले में संदेह का लाभ मिलना चाहिए। उन्हें इस मामले में बरी किया जाता है।

जानें-पूरे मामले में कब-क्या हुआ

16 मई 2008:
14 वर्षीय आरुषि तलवार का शव नोएडा स्थित अपने आवास पर कमरे में गला रेता हुआ पाया गया था। घर का नेपाली नौकर हेमराज इस हत्या का संदिग्ध बताया जा रहा था।

17 मई: तलवार के घर की छत पर हेमराज का शव मिला।

18 मई:
पुलिस का कहना है कि हत्याओं को सर्जिकल कुशलता के साथ किया गया था, जिसका संदिग्ध कोई अंदरूनी ही है।

22 मई: पुलिस को संदेह था कि यह हत्या सम्मान के नाम पर की गई।

23 मई: आरुषि के पिता राजेश तलवार को दोहरे हत्याकांड के लिए गिरफ्तार किया गया।

31 मई: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले को संभाला।

13 जून
: सीबीआई ने राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया। दस दिन बाद, तलवार के एक डॉक्टर मित्र के नौकर राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को भी हिरासत में लिया गया।

12 जुलाई:
गाजियाबाद अदालत ने राजेश को उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने के कारण जमानत दे दी।

5 जनवरी 2010: सीबीआई ने तलवार दंपति पर नारको टेस्ट कराने के लिए अदालत पहुंची।

29 दिसंबर: सीबीआई ने मामले को बंद करने की अर्जी दाखिल की, जिसमें राजेश को मुख्य संदिग्ध बताया गया था, लेकिन उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे।

9 फरवरी, 2011: गाजियाबाद अदालत ने सीबीआई की समापन रिपोर्ट को खारिज कर दिया और आदेश दिया कि राजेश और नुपूर तलवार पर अपराध के लिए मुकदमा चलाया जाए। दंपत्ति पर सबूतों को नष्ट करने का आरोपों लगाया गया। दंपत्ति के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया।

30 अप्रैल: नुपूर तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया।

25 मई: गाजियाबाद अदालत ने राजेश और नुपूर तलवार पर हत्या, साक्ष्य को मिटाने और साजिश रचने का आरोप लगाया।

25 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नूपुर तलवार को जमानत मिली।

अप्रैल 2013: सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि तलवार दंपत्ति द्वारा आरुषि और हेमराज की हत्या कर दी गई थी।

3 मई: बचाव पक्ष के वकील ने सीबीआई के पूर्व निदेशक अरुण कुमार समेत 14 लोगों को अदालत में गवाही के लिए बुलाने के लिए कहा। सीबीआई ने याचिका का विरोध किया।

6 मई: 14 अदालत ने गवाहों को बुलाने के लिए तलवार की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने राजेश और नुपूर के बयान दर्ज कराने का आदेश दिया।

18 अक्टूबर: सीबीआई ने तलवार द्वारा जांचकर्ताओं को गलत जानकारी देने का आरोप लगाकर बहस को बंद कर दिया।

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25 नवंबर: राजेश और नुपूर तलवार को उनकी एकमात्र बेटी की हत्या का दोषी पाया गया।

26 नवंबर: सीबीआई अदालत ने राजेश और नुपूर तलवार दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

21 जनवरी 2014: तलवार ने सीबीआई अदालत के उम्रकैद की सजा के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

11 जनवरी, 2017: इलाहाबाद उच्च न्यायालय तलवार दंपत्ति द्वारा दायर की गई याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया, जिसमें उनकी सजा को चुनौती दी गई थी।

12 अक्तूबर, 2017: इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने तलवार दंपत्ति को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया, जिसमें उन्हें संदेह का लाभ दिया गया।

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