बेटियों का लिंगानुपात बढ़ाने के लिए समाज के हर तबके की भागीदारी जरूरी - ‌‌उच्च शिक्षा मंत्री

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 11 अक्टूबर 2017, 3:37 PM (IST)

जयपुर। प्रदेश की उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा कि समाज में अगर बेटियों का लिंगानुपात बढ़ाना है तो उन्हें सुरक्षित रखने का विश्वास और खुशनुमा माहौल देने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि यह काम किसी सरकार विशेष का नहीं है। समाज के हर तबके को इस पुनीत काम में भागीदारी दिखानी होगी।
माहेश्वरी बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर इंदिरा गांधी पंचायतीराज संस्थान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और कॉलेज शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित पीसीपीएनडीटी जागरूकता कार्यक्रम में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि बेटियां परिवार की धुरी होती हैं। उनको बचाकर ही आने वाले कल को संवारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं का सम्मान हो, मान बढ़े और वे खुश रहे ऐसा माहौल उन्हें देना होगा। समाज की सोच में बदलाव लाना होगा।
उन्होंने कहा कि बेटियां हर मामले में अपनी पहचान बना रही हैं, आगे बढ़ रही हैं। पिछले तीन सालों में राजकीय कॉलेजों में पढ़ने वाली बालिकाओं की संख्या 1 लाख 36 हजार 465 से बढ़कर 1 लाख 75 हजार 221 हो गई है। यह बदलाव समाज के लिए अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि समाज का हर महिला और पुरूष यदि एक बेटी की किस्मत को संवारने का बीड़ा उठा ले तो आने वाले समय में नजारा कुछ और ही होगा।

इससे पहले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा कि प्रदेश में 0-6 वर्ष बालिकाओं के लिंग अनुपात में खासी बढ़ोतरी हुई है। सरकार की तत्परता का अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन सालों में 61 डिकॉय ऑपरेशन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट को सरकार ने सख्त और मजबूत बनाया है जिससे भू्रण हत्या या लिंग परीक्षण के मामलों में खासी गिरावट आई है। उन्होंने आव्हान किया कि सभी को साथ मिलकर भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान में भागीदारी दिखानी होगी ताकि आने वाले समय में प्रदेश का महिला और पुरूषों के लिंगानुपात में कोई अंतर नहीं रहे।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री बंशीधर खंडेला ने कहा कि सरकार ने लिंग परीक्षण करने वाले लोगों के खिलाफ मुहीम छेड़ी हुई है। इसके उनके हौसले पस्त होने लगे हैं। सरकार ने मुखबिरों को दिए जाने वाली राशि को भी बढाकर 2.50 लाख रूपए कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करने के हर संभव प्रयास कर रही है। इस अवसर पर उन्होंने राजश्री जैसी कई योजनाओं के बारे में भी विस्तृत चर्चा की।

इस अवसर पर राजस्थान राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा सुमन शर्मा ने कहा कि आज के दौर की महिलाओं को कमजोर आंकना भूल होगी। महिलाएं रसोई से आसमान हर क्षेत्र में पुरूषों के बराबर खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं ही जन्मने वाली बेटियों की रक्षा कर सकती हैं। उन्होंने इसके लिए मानसिक रूप से तैयार होने पर जोर दिया।


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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रमुख शासन सचिव नवीन जैन ने इससे पहले सभी आगंतुकों का स्वागत किया और राज्य सरकार द्वारा पीसीपीएनडीटी के द्वारों किए जा रहे जगारूकता कार्यक्रमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी रहे और बेटियों के लिंगानुपात में बढोतरी हो यही सबके प्रयास रहें।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजहंस उपाध्याय, कॉलेज शिक्षा के आयुक्त आशुतोष पेंडणेकर, प्लान इंडिया के राजन चौधरी समेत उच्च शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीगण व महाविद्यालयों के प्राचार्य और नोडल ऑफिसर उपस्थित रहे।

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