घरेलू उपचार स्वाइन फ्लू से बचने के लिए....

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 09 अक्टूबर 2017, 3:11 PM (IST)

गर्भावस्था हर महिला के लिए सबसे रोमांचक और महत्तवपूर्ण टाइम होता है। इस दौरान कुछ बातों का ख्याल रख कर ही आप एक हेल्दी और सुन्दर बेबी को जन्म दे सकती हैं। लेकिन आजकल दिल्ली, जयपुर, लखनऊ जैसे बडी सिटी में स्वाइन फ्लू का ज्यादा फैला हुआ है। तो संक्रमण के लिहाज से गर्भवती महिलाओं को फ्लू आसानी से शिकार बन सकती हैं। गर्भधारणप के वक्त महिलाओं की प्रति रक्षा प्रणाली नाजुक पड जाती है और जिसकी वजह से वो इससे कहीं ज्यादा मात्रा में प्रभावित होती है। गर्भधार के टाइम ये फ्लू तेजी से फैलता है और शरीर कमजोर तथा संक्रमित बना देता है जिससे निमोनिया या भू्रण संकट जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है।

गर्भवती महिला में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए जाते हैं तो वो महिला अपने घर में ही रहे साथ ही थोडी-थोडी देर के बाद अपने हाथों को फॉश करती रहे, क्योंकि आजकल सेल फोन सभी के पास होता है हम बार-बार अपने फोन को हाथ में लेते ही हैं और यह फ्लू हाथों के ही सबसे ज्यादा फैलता है। साथ ही कम लोगों से मिलें, अपने पास साफ तौलिया, कपडे रखें।

गर्भवती महिलाओं में समय पर अगर स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए जाते हैं तो तुरंत उनका इलाज एंटी वायरल से किया जाना चाहिए जिससे कुछ ही घंटों के अंदर काम करना शुरू कर देता है। अगर समय पर इसका इलाज करा लिया जाए तो एंटी वायरल अपना सही समय पर काम कर देती है।



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ताजी सब्जियां और तरल पदार्थो का सेवन
हरी पत्तेदार सब्जियां तरल पदार्थो का खूब सेवन में फोलेट की मात्रा ज्यादा हेाती है। ताजेफल फर्टिलिटी के लिए बहुत लाभकारी होते हैं, क्योंकि इनमें एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा ज्यादा होती है। एंटऑक्सीडेंट्स गर्भ धारण की क्षमता को बढाते हैं। कई फल जैसे स्ट्रॉबेरी, सतंरा आदि में फोलेट की मात्रा ज्यादा होती है। फोलेट प्रसव के समय अपने वाली परेशानियों से राहत दिलाता है।

एंटी वारल दवाओं का कोई भी नुकसान नहीं होता नहीं होता न ही शरीर हानी पहुुंचाता है और मां और बच्चा दोनों सेफ रहते हैं।

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साबुत अनाज
इंसुलिन और ब्लड शुगर को जटिल कार्बोहाइडे्रट जैसे साबुत अनाज से बनी बे्रड, कॉर्नमील , ब्राउन राइस और ओटमील प्रभावित करते हैं। रिफाइंड कार्बोहाइडे्रट जैस व्हाइट बे्रड, चावल इन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। कोई भी ऐसी चीज जो इंसुलिन के लिए लाभदायक है, वह फर्टिलिटी के लिए भी फायदेमंद होती है। इसलिए अपने खाने में साबुत अनाज से बनी ही खाएं।

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वसा युक्त पदार्थ
गर्भवती महिलाओं को वसायुक्त पदार्थ जैसे दही, दूध को खाने में शामिल करती है उन्हें अण्डा बनने संबंधी प्रक्रिया में परेशानी कम होती है। इसकी एक वजह हे कि दुग्ध पदार्थो में कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होती है जो कि फर्टिलिटी के लिए आवश्यक तत्व है। साथ ही साथ एक खास यह बात है कि इस तरह के खाद्य पदार्थ दिन में एक बार ही खाएं और अतिरिक्त कैलोरी कहीं और प्राप्त करें।

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प्रोटीन
गर्भवती महिला को प्रोटीन जैस मूंगफली, बीन आदि फर्टिलिटी बढाते हें। बीन में आयरन की भरपूर मात्रा होती है जिसके कारण से वह फर्टिलिटी बढाने में मददगार साबित होती है।

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प्रसव के पहले और बाद
महिला के लिए प्रसव एक तरह से दूसरा जन्म कहा जाता है। आंकडे बताते हैं कि जिन औरतों के मामलों में गर्भावस्था के दौरान सावधानी नहीं बरती जाती, समय पर उन का इलाज नहीं कराया जाता, उन औरतों में प्रसव के दौरान रिस्क बहुत बढ जाता है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि सावधानी बरत कर प्रसव को सुखद और सुरक्षित बनाया जाए। गर्भावस्थ के दौरान औरतों के शरी में तमाम तरह के बदलाव होते हैं। अगर समय पर इन बदलावों को डाक्टर से बात कर के सलाह ले लीजाए तो प्रसव के दौरान आने वाली बहुत सारी परेशानियों से बचा जा सकता है।

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खतरे के लक्षण
अगर चेहरे और हाथों में सूजन हो या किसी तरह का कोई उभार हो तो अपने डॉक्टर से बात जरूर करें।
पेेट में तेज दर्द, कंपकंपी और बुखार भी खतरनाक संकेत माने जाते हैं।




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