मातमी धुनों के बीच निकाले ताजिये करबला में सुपुर्द-ए-खाक

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 01 अक्टूबर 2017, 7:03 PM (IST)

जयपुर। शहर में रविवार शाम इमाम हुसैन की शहादत में गमजदा लोगों ने मातमी धुनों के बीच ताजिये निकाले गए। गमगीन माहौल में यौमे आशूरा मनाया गया। विभिन्न मोहल्लों से जुलूस के रूप में निकले ताजिये आंसुओं के साथ करबला में सुपुर्द-ए-खाक किए गए। तत्पश्चात अजाखानों में मजलिसे शामे गरीबां आयोजित हुई। जुलूस के साथ अंजुमनों ने नौहा और मातम किया। ताजियों के मातमी जुलूस के दौरान ढोल-नगाड़ों के साथ मातम का प्रदर्शन किया गया। शहर की तमाम अंजुमनों की ओर से जंजीरी मातम मनाया गया। जुलूस के दौरान अखाड़ों की ओर से करतब दिखाए गए। कई मोहल्लों के अखाड़ों ने पट्टेबाजी सहित कई करतब दिखाए, जिन्हें देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सालभर की मेहनत से तैयार किए गए चमचमाते ताजिये करबला पहुंचकर सुपुर्द-ए-खाक किए गए।


आगे.. इसलिए मनाते हैं मोहर्रम

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इस्लामी साल पहला महीना होता है मोहर्रम

'मुहर्रम' इस्लामी साल पहला महीना होता है। इसी महीने से इस्लाम का नया साल शुरू होता है। इस महीने की 10 तारीख को रोज-ए-आशुरा (Day Of Ashura) कहा जाता है, इसी दिन को अंग्रेजी कैलेंडर में मोहर्रम कहा गया है।

इसलिए मनाया जाता है मोहर्रम


मोहर्रम के महीने में इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को इराक के बयाबान में जालिम यजीदी फौज ने शहीद कर दिया था। हजरत हुसैन इराक के शहर करबला में यजीद की फौज से लड़ते हुए शहीद हुए थे।

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