क्या है कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन और इसके नाम से क्यों छूटते हैं पाक के पसीने

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 22 सितम्बर 2017, 1:29 PM (IST)

नई दिल्ली। पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन की चर्चा की थी। ज्ञातव्य है कि अब्बासी ने कहा था कि पाकिस्तान ने भारतीय सेना की कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन से निपटने के लिए छोट एटमी हथियार बना लिए हैं। इसके बाद से कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन क्या आपको पता है कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन क्या होती है और पाकिस्तान इससे इतना क्यों डर रहा है।

पाकिस्तान से निपटने के लिए विकसित किया था कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन:
दरअसल भारत ने पाकिस्तान की ओर से संभावित युद्ध के खतरे से निपटने के लिए कोल्ड वॉर डॉक्ट्रीन बनाया था। इसे कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन भी कहा जाता है। कोल्ड स्टार्ट का मतलब है हॉट वॉर से बचने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति। आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने जब इस साल की शुरुआत में कार्यभार संभाला था एक साक्षात्कार में उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इस मिलिट्री डॉक्टरिन के वजूद में होने की बात कही थी। इसके तहत भारतीय सेना की अलग-अलग शाखाएं, एकीकृत बैटल ग्रुप की तरह ऑफेंसिव ऑपरेशन चलाती है।
कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन में दुश्मन को संभलने का मौका नहीं दिया जाता है। इसके तहत 48 घंटे में ही दुश्मन देश के क्षेत्र घुसकर हमला करना और फिर वापस अपनी पोजिशन लेना होता है।

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ज्ञातव्य है कि दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन पराक्रम लॉन्च किया था। इस ऑपरेशन के तहत कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन को बढावा दिया गया था। हांलांकि भारत ने कभी भी कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रीन को सार्वजनिक रूप से स्विकार नहीं किया। संसद पर हमले के बाद भारतीय सेना को पाकिस्तान सीमा पर पहुंचने में करीब एक महीने का समय लग गया था, जिसके चलते पाकिस्तान को अपनी तैयारी करने का पर्याप्त समय मिल गया था। साथ ही अमेरिका के जरिए तत्कालीन राजग सरकार पर पीछे हटने का दबाव बनाने का भी समय मिल गया।

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