इमाम ने माना, रोहिंग्या जेहादी म्यांमार, बांग्लादेश और भारत के लिए साझा दुश्मन

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 21 सितम्बर 2017, 9:00 PM (IST)

कोलकाता। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के राजनीतिक सलाहकार हसन तौफीक इमाम ने कहा कि रोहिंग्या जेहादी समूह लश्कर-ए-तैयबा समर्थित अराकान रोहिंग्या सॉल्वेशन आर्मी (एआरएसए) जैसा ही जेहादी समूह है। वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान नौकरशाह से स्वतंत्रा सेनानी बने इमाम का कहना है कि खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई म्यांमार के साथ सीमा पर सांप्रदायिक दंगे भडक़ाने के लिए रोहिंग्या मुद्दे का इस्तेमाल कर रही है। इमाम ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा आतंकवाद को लेकर बांग्लादेश की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है। हसीना सरकार ने अभियान चलाकर पिछली सरकारों के दौरान बांग्लादेश में शरण लेने वाले सभी विद्रोही समूहों को नेस्तनाबूद कर दिया। हम बिल्कुल ऐसा ही एआरएसए और रोहिंग्या जेहादियों के साथ भी करेंगे। इमाम को शेख हसीना का नजदीकी माना जाता है। इमाम के मुताबिक, एआरएसए के देश के अग्रणी इस्लामिक आतंकवादी समूह बांग्लादेश जमात उल मुजाहिदीन (जेएमबी) और पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के साथ निकट संबंध हैं।

इमाम ने कहा, पाकिस्तान की आईएसआई को 1969 से ही रोहिंग्या अलगाववादियों का समर्थन प्राप्त है। मैं 1969 में अविभाजित पाकिस्तान में नौकरशाह था और चटगांव और हिल ट्रैक्टस में तैनात था। वह म्यांमार-बांग्लादेश सीमा पर संकट पैदा कर हसीना सरकार को अस्थिर करने के लिए एक बार फिर दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया के बीच नए रणनीतिक क्षेत्र के लिए वैसी ही हरकत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की खुफिया एजेंसियों की मानें तो आईएसआई इस महीने संभावित रूप से दुर्गा पूजा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भडक़ाने के लिए रोहिंग्या संकट के इस्तेमाल की कोशिश कर रहा है।

वरिष्ठ बांग्लादेशी अधिकारी ने कहा, हम इन रिपोर्टों की जांच कर रहे हैं और इस संबंध में अलर्ट भी जारी किया गया है, ताकि दुर्गा पूजा के दौरान और इसके बाद में किसी तरह की अप्रिय घटना न हो। इमाम ने कहा कि बांग्लादेश ने रोहिंग्या जेहादी समूह के खिलाफ संयुक्त सैन्य अभियान मुहैया कराया है, लेकिन निर्दोष रोहिंग्या मुसलमानों की मदद भी की जा रही है। इमाम ने बताया, हमने उन्हें सीमा पर संयुक्त रूप से और समन्वित पेट्रोलिंग की सुविधा भी मुहैया कराई है, लेकिन मुझे कहते हुए खेद हो रहा है कि म्यांमार ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

इमाम ने कहा, रोहिंग्या समस्या हमारे और भारत एवं म्यांमार के लिए सुरक्षा की समस्या है, लेकिन इससे भी अधिक यह एक मानवीय समस्या है। हमने शुरुआती आरक्षण के बाद अपने दरवाजे रोहिंग्या के लिए खोल दिए हैं।म्यांमार सेना के घुसपैठ रोधी अभियान शुरू करने के बाद से लगभग पांच लाख रोहिंग्या भागकर बांग्लादेश आ गए हैं।मानवाधिकार समूहों का कहना है कि म्यांमार में इनमें से हजारों को मार दिया गया और इस कौम की महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ। इमाम का कहना है कि एआरएसए का हमला उस समय हुआ, जब सू की सरकार ने राखिने राज्य में शांति बहाली के लिए कोफी अन्नान की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था और अंतर-मंत्रिस्तरीय समिति की स्थापना से इसका क्रियान्वयन करने का वादा किया था।



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इमाम ने कहा, एआरएसए हमारे क्षेत्र में उभर रहे जेहादी संगठन का हिस्सा है। हम म्यांमार सेना के अत्याचारों का सामना कर रहे रोहिंग्या मुसलमानों से जितनी सहानुभूति जताएंगे, हमें एआरएसए, जेएमबी और इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों से निपटने में उतनी ही मुश्किल होगी। इसके साथ ही आतंकवाद पर सख्त रवैये के साथ-साथ बांग्लादेश रोहिंग्या शरणार्थियों की देखरेख भी करेगा। उन्होंने वैश्विक समुदाय का आह्वान करते हुए कहा कि म्यांमार को निर्दोष रोहिंग्या मुसलमानों को वापस बुला लेना चाहिए और उन्हें बिना किसी डर के सम्मान भरी जिंदगी मुहैया करानी चाहिए।

उन्होंने कहा, हमारी प्रधानमंत्री ने कहा है कि यदि हम अपने 16 करोड़ लोगों का पालन-पोषण कर सकते हैं तो हम पांच लाख रोहिंग्या का भी पेट भर सकते हैं। यह हमारी बंगाली परंपरा है कि हम जितना भी हो सके, संकट में पड़ोसियों का साथ देते हैं। हमने यह संस्कृति बंगाल में आए अकाल के दिनों के संकट से अपनाई है। इमाम ने कहा कि यूरोप 100,000 शरणार्थियों को शरण देने पर हांफ रहा है, लेकिन गरीब बांग्लादेश बिना किसी हिचक के पहले ही पांच लाख रोहिंग्या को पनाह दे चुका है। इमाम बांग्लादेश के उपउच्चायुक्त द्वारा आयोजित सेमिनार बांग्लादेश टुडे को संबोधित करने के लिए कोलकाता पहुंचे थे।

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