भरतपुर। यह है भरतपुर संभाग का सबसे बड़ा आरबीएम जिला अस्पताल, यहां ट्रॉमा सेंटर सूना पड़ा रहता है और चिकित्साकर्मी आईसीयू वार्ड में सोते रहते हैं और बाहर मरीज इलाज के लिए भटकते रहते हैं। उन्हें न तो डॉक्टर मिलता है न ही कंपाउंडर मिलता है, जबकि ट्रॉमा सेंटर में इमरजेंसी सेवाएं चलती हैं और दूर दराज से यहां इलाज कराने के लिए मरीज पहुंचते हैं।
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खासतौर से दुर्घटना में चोटग्रस्त होकर आने वाले मरीजों को यहां लाया जाता
है, लेकिन अपनी सीट पर ना तो डॉक्टर मिलता है और ना ही कंपाउंडर। थकहार कर
मरीज निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर होता है।
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सरकार की दूरगामी सोच और मरीज को इलाज देने के लाख प्रयास के बावजूद भी यहां के चिकित्साकर्मी सरकार की सोच को पलीता लगाते दिखाई देते हैं। यहां के चिकित्सक, कंपाउंडर और सीखने आने वाले नर्सिंग छात्र टाइम पास करने के लिए अस्पताल आते हैं। उन्हें मरीजों के इलाज से कोई गुरेज नहीं है।
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