1965 की जंग के हीरो मार्शल अर्जन सिंह ने सिर्फ 1 घंटे में खड़ी कर दी थी अपनी फौज

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 16 सितम्बर 2017, 10:26 PM (IST)

नई दिल्ली। 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीत के हीरो रहे भारतीय वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके जुनून की मिसालें उनकी मृत्यु के बाद भी दी जाती रहेंगी। मार्शल अर्जन सिंह शनिवार शाम को दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। वे भारतीय वायु सेना के एकमात्र अधिकारी थे जिन्हें पांच सितारा रैंक में पदोन्नत किया गया था। अर्जन सिंह के जज्बे और जुनून का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जब 2 साल पहले वो पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के पार्थिव शरीर को पालम एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे, तब वो व्हील चेयर पर थे। लेकिन, श्रद्धांजलि देते वक्त को चेयर से उठ खडे हुए और पूरे जोश के साथ कलाम को सलामी दी।

पिछले साल अप्रैल में उनके जन्मदिन के मौके पर पश्चिम बंगाल के पनागढ़ एयरबेस का नाम बदलकर उनके नाम पर रख दिया गया। यह पहली बार था जब एक जीवित ऑफिसर के नाम पर किसी सैन्य प्रतिष्ठान का नाम रखा गया हो। जब सिंह एयर चीफ बने तभी देश को जंग का सामना करना पड़ा था। लेकिन, वो दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में माहिर थे। कश्मीर के अखनूर सेक्टर को पाकिस्तान के जवानों ने निशाना बनाया, तभी रक्षा मंत्री ने उनसे मदद के लिए कहा। रक्षा मंत्री ने उनसे पूछा कि कितनी देर में एयर समर्थन मिल जाएगा तो सिंह ने कहा कि एक घंटे में। बस फिर क्या था एक घंटे के भीतर एयरफोर्स ने पाकिस्तानी फौजों पर हमला बोल दिया। इस जंग में सिंह ने एयरफोर्स को लीड किया था।

अर्जन सिंह का जन्म लायलपुर (अब फैसलाबाद, पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने 1 अगस्त, 1964 से 15 जुलाई, 1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टाफ का पद संभाला था। 1965 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। अर्जन सिंह को दिसंबर 1939 में एक पायलट अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया। 1944 में सिंह ने भारतीय वायुसेना की नंबर 1 स्क्वाड्रन का अराकन अभियान के दौरान नेतृत्व किया। 1944 में उन्हें प्रतिष्ठित डीएफसी से सम्मानित किया गया और 1945 में भारतीय वायुसेना की प्रथम प्रदर्शन उड़ान की कमान संभाली थी।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक वो वायुसेनाध्यक्ष थे और 1965 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1965 के युद्ध में वायु सेना में अपने योगदान के लिए उन्हें वायु सेनाध्यक्ष के पद से पद्दोन्नत होकर एयर चीफ मार्शल बनाया गया। वे भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल थे। उन्होंने 1969 में 50 साल की उम्र में अपनी सेवाओं से सेवानिवृत्ति ली। 1971 में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें स्विट्जरलैंड में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया था। उन्होंने समवर्ती वेटिकन के राजदूत के रूप में भी सेवा की।

ये भी पढ़ें - खादी के विविध रंगों से दमक उठा रैम्प, मॉडल्स ने किया कैटवॉक