जयपुर। आयुर्वेद को अपनाकर न केवल अच्छी सेहत पाई जा सकती है, बल्कि उम्र की डोर को भी लंबा खींचा जा सकता है। आयुर्वेद में खासकर नस्य पंचकर्म को अपनाकर माइग्रेन, अनिद्रा और मस्तिष्क जैसी गंभीर बीमारियों के अलावा खांसी-जुकाम जैसी आम बीमारियों से भी निजात मिल सकती है।
यह बात जयपुर सांसद रामचरण बोहरा ने शुक्रवार को राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में चल रहे तीन दिवसीय युवा महोत्सव के दूसरे दिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए आयोजित ‘मोस्ट पीपुल रिसिविंग पंचकर्म ट्रीटमेंट साइमलटेनसली’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद पद्धति सभी चिकित्सा पद्धतियों में सर्वश्रेष्ठ है। युवाओं को भी इस ओर ही रुख करना चाहिए।
इससे पहले देश भर के आयुर्वेदिक संस्थानों से जुड़े हजारों छात्र-छात्राओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। नस्य कर्म के प्रति छात्र-छात्राओं का जोश और जुनून देखते ही बन रहा था। कार्यक्रम में 1564 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसमें से 733 छात्र-छात्राओं ने 7 से भी ज्यादा मिनट तक पंचकर्म की एक विधि नस्य कर्म कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा दिया। इतने छात्रों द्वारा एक साथ नस्य कर्म करने वाला यह अनूठा रिकॉर्ड है। आयुर्वेद के अनुसार नस्य कर्म क्रिया को नियमित करने से कान, नाक, बाल, मुख आदि हिस्सों में होने वाली विभिन्न बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है।
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इससे पहले लोकायुक्त एस.एस. कोठारी ने छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा
कि दुनिया को जवाब वाणी से नहीं कर्म से दिया जाना चाहिए। आप सभी
छात्र-छात्राओं ने विश्व रिकॉर्ड बनाकर यह साबित कर दिया है कि आयुर्वेद
देश की ही नहीं पूरी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विधा है।
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गिनीज बुक ऑफ
वर्ल्ड रिकार्ड के कार्यकारी अधिकारी स्वप्निल डांगरीकर ने कहा कि जितने
बेहतरीन तरीके से आयुर्वेदिक छात्र-छात्राओं ने नस्य पंचकर्म को अंजाम दिया
है, वह अद्भुत है। उन्होंने छात्रों की तारीफ करते हुए उनके उज्ज्वल
भविष्य के लिए बधाई भी दी। इस अवसर पर स्पप्निल ने विश्व रिकॉर्ड का
प्रमाणपत्र भी राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की टीम को दिया।
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कार्यक्रम
की शुरुआत में सभी अतिथियों ने भगवान धन्वन्तरि की प्रतिमा पर माल्यार्पण
किया और दीप प्रज्वलित किया। इस दौरान डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राधेश्याम शर्मा, आयुष विभाग के विशेष
सचिव और पद्मश्री राजेश कोटेचा, विज्ञान भारती के महासचिव ए. जयकुमार,
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के निदेशक प्रोफेसर संजीव शर्मा, नीता कोटेचा
सहित विभाग के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
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