चण्डीगढ़। हरियाणा ने राष्ट्रीय शहरी
आजीविका मिशन के तहत शहरी गरीबों को आवास, रोजगार तथा प्रशिक्षण मुहैया
कराने की प्रक्रिया में अपनी रैंकिंग में बड़ा सुधार किया है। शहरी
क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ करने की प्रक्रिया में हरियाणा
अब देश में 11वें स्थान पर पहुंच गया है, जोकि पहले 28वें स्थान पर था।
हरियाणा देशभर मेें शहरी गरीबों को आजीविका के अवसर मुहैया कराने में
चंडीगढ, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, जम्मू एवं कश्मीर से आगे रहा है।
शहरी
स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि
शहरी क्षेत्रों में गरीब तबके को आजीविका के अवसर सुलभ कराने तथा बुनियादी
आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में हरियाणा को बड़ी कामयाबी मिली है।
अप्रैल में तत्कालीन शहरी आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री एम. वैंकेया नायडू
की अध्यक्षता में हरियाणा में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की विभिन्न
योजनाओं में की जा रही प्रगति की समीक्षा की गई थी, जिसके बाद वर्तमान में
मंत्रालय द्वारा जारी की गई गे्रडिंग में हरियाणा ने अच्छा प्रदर्शन करते
हुए 28वें से 11वां स्थान हासिल किया है। मंत्री
ने बताया कि प्रदेश में सामाजिक बंधन मजबूत करने तथा संस्थागत विकास के
मकसद से वर्तमान वर्ष में अब तक 571 स्वयं सहायता समूहों का गठन करवाते हुए
104 को राशि उपलब्ध कराई जा चुकी है। वर्तमान वर्ष में 8500 युवाओं के
कौशल विकास एवं रोजगार मुहैया करवाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 2839
युवा अपना प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं और 3453 का प्रशिक्षण चल रहा है। अब
तक 271 युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जा चुका है।
उन्होंने
बताया कि प्रदेश भर में युवाओं के कौशल विकास और उन्हें रोजगार के बेहतर
विकल्प मुहैया कराने के लिए एजेंसियों का चयन किया जा चुका है, जिन्होंने
प्रदेश भर में 90 कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से गरीब युवाओं को 75
क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया है। स्वरोजगार कार्यक्रम के तहत 3407
युवाओं को प्रायोजित किया गया है, जिसमें 335 युवाओं का ऋण मंजूर हो चुका
है और 221 को राशि जारी भी की जा चुकी है। स्वरोजगार कार्यक्रम (समूह) में
112 स्वयं सहायता समूहों को प्रायोजित किया है, जिसमें 22 का ऋण मंजूर हो
चुका है।
उन्होंने
बताया कि प्रदेश की सभी 80 पालिकाओं में प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के
तहत डिमांड सर्वे किया जा चुका है, जिसमें 3.30 लाख लोगों ने आवेदन किया
है। पालिकाएं अपने स्तर पर इनकी जांच पड़ताल कर रही हैं, जिसके बाद विस्तृत
कार्य योजना तैयार करके बजट के लिए केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। यही नहीं,
प्रदेश के 18 शहरों में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत सडक़ किनारे
सामान बेचने वालों के लिए स्ट्रीट वैंडिंग पालिसी के तहत टेंडर अलाट किया
जा चुका है, जिसके तहत सर्वे करके इन लोगों को योजनाबद्ध तरीके से रेहड़ी
खड़ा करने के लिए स्थान मुहैया करवाया जाएगा।
श्रीमती
कविता जैन ने बताया कि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का मकसद हर हाथ को काम
के लिए कौशल विकास एवं प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध करवाना, निजी व सामूहिक
सूक्ष्म उद्योग स्थापित करना, स्वयं सहायता समूहों का गठन, बेघरों के लिए
आश्रय का निर्माण, बुनियादी ढांचा निर्माण के लिए सडक़ पर सामान बेचने
वालों, दिव्यांगों तथा कूड़ा बीनने वालों की मदद के लिए नए तरीके लागू करना
है, ताकि शहरों में रहने वाले गरीबों के लिए रोजगार तथा आय बढ़ाने के अवसर
मुहैया कराए जा सकें।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे