जेठमलानी ने की वकालत से संन्यास की घोषणा ,17 साल की उम्र की थी LLB

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 09 सितम्बर 2017, 11:39 PM (IST)

नई दिल्ली। जाने माने अधिवक्ता राम जेठमलानी ने शनिवार को 7 दशक लंबे वकालत के करियर से संन्यास लेने की घोषणा की । 94 वर्षीय जेठमलानी ने करियर से संन्यास लेने की घोषणा करते हुए शासन के मौजूदा स्तर को विपत्ति करार दिया और कहा कि वह भ्रष्ट राजनेताओं के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, देश अच्छी स्थिति में नहीं है। पिछली और मौजूदा दोनों सरकारों ने देश को बहुत बुरी तरह नीचा दिखाया है। जेठमलानी ने कहा, इस बड़ी विपत्ति से उबारने की जिम्मेदारी बार एसोसिएशन के सदस्यों की और सभी अच्छे नागरिकों की है।

उन्होंने कहा कि इन लोगों को इस बात के लिए भरसक प्रयास करने चाहिए कि सत्ता में बैठे लोगों को जल्द से जल्द बाहर का रास्ता दिखाया जाए। वह भारत के नए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को सम्मानित करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर जेठमलानी ने कहा, मैं यहां आपको केवल यह कहने आया हूं कि मैं अपने पेशे से संन्यास ले रहा हूं लेकिन जिंदगी रहने तक नई भूमिका अपना रहा हूं। मैं भ्रष्ट राजनेताओं से लडऩा चाहता हूं जिन्हें सत्ता के पदों पर लाया गया है और मुझे उम्मीद है कि भारत की स्थिति अच्छी शक्ल लेगी।

जेठमलानी लड़ चुके है कई बड़े केस

देश के सीनियर और महंगे वकीलों में से एक राम जेठमलानी इंदिरा गांधी से लेकर संसद हमले में सजा पा चुके अफजल गुरू तक के केस की पैरवी कोर्ट में कर चुके हैं। राम जेठमलानी का जन्म 14 सितम्बर 1923 को ब्रिटिश भारत के शिकारपुर शहर में जो आजकल पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में है, भूलचन्द गुरुमुखदास जेठमलानी व उनकी पत्नी पार्वती भूलचन्द के यहाँ हुआ था। स्कूली शिक्षा के दौरान दो-दो क्लास एक साल में पास करने के कारण और उन्होंने 13 साल की उम्र में मैट्रिक का इम्तिहान पास कर लिया और 17 साल की उम्र में ही एलएलबी की डिग्री हासिल कर ली थी। उस समय वकालत की प्रैक्टिस करने के लिये 21 साल की उम्र जरूरी थी मगर जेठमलानी के लिये एक विशेष प्रस्ताव पास करके 18 साल की उम्र में प्रैक्टिस करने की इजाजत दी गई। बाद में उन्होंने एससी साहनी लॉ कॉलेज कराची एलएलएम की डिग्री प्राप्त की।

जेठमलानी का पहला केस

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जेठमलानी का पहला केस 1959 में प्रसिद्ध के.एम. नानावती बनाम महाराष्ट्र सरकार का मामला था। इसमें इन्होंने यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के साथ केस लड़ा था। चंद्रचूड़ बाद में भारत के चीफ जस्टिस भी बने. इस केस के बाद जेठमलानी सुर्खियों में आ गए थे। नानावती केस पर ही बाद में अभिनेता अक्षय कुमार अभिनीत रूस्तम फिल्म भी बनी। इसके बाद 60 के दशक में जेठमलानी ने कई स्मगलरों का केस लड़ा जिसकी वजह से उन्हें स्मलगरों का वकील कहा जाने लगा। एक तरफ जेठमलानी अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं तो वहीं भाजपा में रहते हुए पार्टी के कामकाज और पार्टी के शीर्ष नेताओं का खुलकर विरोध करने के लिए भी प्रसिद्ध थे।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में जेठमलानी को अपनी सरकार में कानून मंत्री का पद दिया था। लेकिन तात्कालीन चीफ जस्टिस आदर्श सेन आनंद और अटॉर्नी जनसल सोली सोराबजी से मतभेद के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 2010 में भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान से उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया। इसके बाद 2013 में पार्टी के खिलाफ बोलने के कारण उन्हें 6 सालों के लिए निष्कासित कर दिया गया था।

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