लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में मिले संदिग्ध पदार्थ को खतरनाक विस्फोटक बताने वाली फरेंसिक साइंस लैबरेटरी के निदेशक डॉ. श्याम बिहारी उपाध्याय को सस्पेंड कर दिया गया है। बरामद पदार्थ के बारे में गलत, गुमराह करने वाली, अपूर्ण और अपुष्ट रिपोर्ट देने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। डीजीपी मुख्यालय की ओर से डॉ उपाध्याय के खिलाफ निलंबन की सिफारिश किए जाने के बावजूद गृह विभाग पिछले एक महीने से उनकी फाइल को दबाए बैठा था और उनके खिलाफ ऐक्शन नहीं लिया जा रहा था। मामले की जांच कर रही एनआईए ने हैदराबाद स्थित सीएफएसएल से इसकी जांच कराई तो पता चला कि यह सिलिकन ऑक्साइड है।
गृह विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि पदार्थ की जांच ऐसे व्यक्ति ने की, जो इसका विशेषज्ञ नहीं है। सतर्कता निदेशक हितेश अवस्थी ने उपाध्याय के खिलाफ जांच के आदेश दिये हैं। उन्होंने बताया कि उपाध्याय 28 फरवरी 2008 से 20 अगस्त 2012 तक बिहार की राजधानी पटना में कार्यवाहक निदेशक थे। उस समय भी उनके कार्यकाल के दौरान गलत रिपोर्ट देने और वित्तीय अनियमितताओं को लेकर कई शिकायते लंबित हैं। आपको बता दें कि 12 जुलाई की सुबह यूपी विधानसभा में 150 ग्राम संदिग्ध पाउडर मिलने का खुलासा हुआ है।
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फॉरेंसिक जांच मे विस्फोटक मिलने की पुष्टि लखनऊ के फारेंसिक लैब ने की थी। संदिग्ध पाउडर के विस्फोटक होने की पुष्टि के बाद से ही यह सवाल उठने लगे कि कहीं इस्तेमाल की गई किट एक्सपायर्ड तो नहीं थी। जब इसकी जांच कराई गई तो यह साफ हो गया कि लखनऊ एफएसएल में एक्सपायरी किट से जांच की गई थी। सिलीकॉन ऑक्साइड खतरनाक नहीं होता। कई फूड़ प्रोडक्ट्स में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसे सिलिका के नाम से भी जाना जाता है। इसे एंटीकेकिंग एलिमेंट भी कहा जाता है। यह कई पाउडर मटैरियल को आपस में चिपकने से रोकता है।
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