जयपुर। दिगम्बर जैन समाज के दशलक्षण पर्व समारोह के तहत गुरुवार को वीतराग धर्म का उत्तम संयम लक्षण भक्तिभाव से मनाया गया। मंदिरों में प्रातः अभिषेक, शांतिधारा के बाद दशलक्षण धर्म की विधान मंडल पर अष्टद्रव्य से पूजा की गई।
शाम को महाआरती के बाद वीतराग धर्म के उत्तम संयम लक्षण पर प्रवचन हुए। इसमें बताया गया कि काय छहों प्रतिपाल, पंचेन्द्रिय मन वश करो। संयम-रतन संभाल, विषय-चोर बहु फिरत है।। उत्तम संयम गहु मन मेरे, भव-भव के भाजैं, अघ तेरे। सुरग-नरक-पशुगति में नाही, आलस-हरन करन सुख ठाही।। अर्थात् मनुष्य को अपनी पांचों इन्द्रिया पर नियंत्रण रखना चाहिए। प्रवचन के बाद मंदिरों में सुगंध दशमी मनाई गई।
राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा के अनुसार शुक्रवार व शनिवार को वीतराग धर्म का उत्तम तप लक्षण मनाया जाएगा। इस मौके पर दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा-विधान, शाम को महाआरती एवं प्रवचन होंगे।
जैन के अनुसार 3 से 5 सितम्बर तक कर्म निर्झरा व्रत व तेला, 5 सितम्बर तक दशलक्षण व्रत, 4 से 6 सितम्बर तक रत्नत्रय व्रत व तेला, 5 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी व दशलक्षण कलश तथा जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाएंगे। दिनभर जैन बंधु अपने प्रतिष्ठान बंद रखेंगे। शाम को अभिषेक, कलश, माल एवं आरती करेंगे। गुरूवार को षोडष कारण समापन, कलश व क्षमावाणी (पड़वा ढोक) मनाई जाएगी। वर्ष भर की गलतियों की आपस में क्षमा मांगेंगे, खोपरा मिश्री खिलाएंगे। शुक्रवार को जैन धर्म के 22वें तीर्थकंर भगवान नेमिनाथ का गर्भ कल्याणक भी मनाएंगे।
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