स्वयं की मृत्यु के बारे में जानना मारकेश कहलाता है।
हालांकि किसी व्यक्ति को इस बारे में जानने का प्रयास भी नहीं करना चाहिए
परन्तु फिर भी कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो उत्सुकतावश जानने के लिए अक्सर
पूछते हैं की मेरी मृत्यु कब होगी, मेरी मृत्यु कैसे होगी, मेरी मृत्यु
कहां होगी? इससे बचने के उपायों पर भी नजर डाल लेनी चाहिए-
मारकेश अर्थात-मरणतुल्य कष्ट या मृत्यु देने वाला वह ग्रह जिसे
आपकी जन्मकुंडली में मारक होने का अधिकार प्राप्त हैं। अलग-अलग लग्न के
मारक अधिपति भी अलग-अलग होते हैं। मारकेश की दशा जातक को अनेक प्रकार की
बीमारी, मानसिक परेशानी, वाहन दुर्घटना, दिल का दौरा, नई बीमारी का जन्म
लेना, व्यापार में हानि, मित्रों और संबंधिहयों से धोखा तथा अपयश जैसी
परेशानियां आती हैं।
मारकेश की दशा आने से पहले बरतें ये सावधानी
फलित
ज्योतिष के अनुसार किसी भी जातक के जीवन में मारकेश ग्रह की दशा के मध्य
घटने वाली घटनाओं की सर्वाधिक सटीक एवं सत्य भविष्यवाणी की जा सकती है,
क्योंकि मारकेश वह ग्रह होता है जिसका प्रभाव मनुष्य के जीवन में
शत-प्रतिशत घटित होता है। यह दशा जीवन में कभी भी आये चाहे जीतनी बार आये,
व्यक्ति के जीवन में अपनी घटनाओं से अमिट छाप छोड़ ही जाती हैं।
मैंने ऐसे हज़ारों जातकों की जन्मकुंडलिओं का विवेचन किया है, और पाया कि
जिन-जिन लोंगों को मारकेश की दशा लगी वै कहीं न कहीं अधिक परेशानी में
दिखें।
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मारकेश अर्थात मरणतुल्य कष्ट देने वाला वह ग्रह
जिसे आपकी जन्मकुंडली में मारक होने का अधिकार प्राप्त है, आपको सन्मार्ग
से भटकने से रोकने के लिए सत्य एवं निष्पक्ष कार्य करवाने और न करने पर
प्रताड़ित करने का अधिकार प्राप्त है ।
सूर्य जगत की आत्मा तथा चंद्रमा अमृत और मन हैं इसलिए इन्हें मारकेश होने
का दोष लगता इसलिए ये दोनों अपनी दशा-अंतर्दशा में अशुभता में कमी लाते हैं।
मारकेश का विचार करते समय कुण्डली के सातवें भाव के
अतिरिक्त, दूसरे, आठवें, और बारहवें भाव के स्वामियों और उनकी शुभता-अशुभता
का भी विचार करना आवश्यक रहता है, सातवें भाव से आठवाँ द्वितीय भाव होता
है जो धन-कुटुंब का भी होता है इसलिए सूक्ष्म विवेचन करके ही फलादेश कहना
चाहिए।|
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मारकेश की दशा जातक को अनेक प्रकार की बीमारी, मानसिक
परेशानी, वाहन दुर्घटना, दिल का दौरा, नई बीमारी का जन्म लेना, व्यापार में
हानि, मित्रों और सम्बन्धियों से धोखा तथा अपयश जैसी परेशानियाँ आती हैं |
इसके के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सरल और आसान तरीका है, कि कुंडली के
सप्तम भाव में यदि पुरुष राशि हो तो शिव की तथा स्त्री हों तो शक्ति की
आराधना करें | सम्बंधित ग्रह का चौगुना मंत्र, महामृत्युंजय जाप, एवं
रुद्राभिषेक करना इस दशा शांति के सरल उपाय हैं।
इसके अतिरिक्त जो भी ग्रह मारकेश हो उसी का कवच पाठ करें,
ध्यान रहे दशा आने से एक माह पहले ही आचरण में सुधार लायें और अपनी सुबिधा
अनुसार स्वयं उपाय करें |
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