फिल्म समीक्षा: ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ फिल्म देखने से पहले पढ़े

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 26 अगस्त 2017, 11:49 AM (IST)

डायरेक्टरः कुषाण नंदी
कलाकारः नवाजुद्दीन सिद्दीकी, बिदिता बाग, जतिन गोस्वामी और दिव्या दत्ता
रेटिंग: 3 स्टार
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ के जरिये ‘डार्क हैंडसम हीरो’ के कॉन्सेप्ट को बखूबी स्थापित किया है। बाबूमोशाय बंदूकबाज प्यार और धोखे की कहानी है।कसी हुई कहानी, मजबूत कैरेक्टराइजेशन, देसी कनेक्ट और डॉयलॉग। कुल मिलाकर यही है ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ फिल्म यह भी बताती है कि गुरु, गुरु होता है और चेला, चेला। फिल्म इश्क, धोखे और कत्ल की कहानी है। कुषाण ने फिल्म को बेहतरीन ढंग से बुना है। यह लगातार तीसरा हफ्ता है जब बॉक्स ऑफिस पर देसी फिल्म ने दस्तक दी है।
बाबू एक ऐसा कॉन्ट्रैक्ट किलर है जिसका काम पैसों के लिए लोगों की जान लेना है। एक कॉन्ट्रैक्ट के दौरान उसकी मुलाकात होती है बिदिता से और वह उसे अपना दिल दे बैठता है। अब बाबू के जीवन में वैसे तो कोई बदलाव नहीं आता लेकिन, एक ठेके पर उनकी मुलाकात जतिन से होती है। वह भी एक कॉन्ट्रैक्ट किलर है लेकिन, वह बाबू को कहता है कि बाबू उसका गुरु है बचपन से वह उसका फ्रेंड रहा है, फैन रहा है।

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ऐसे में बाबू और उसकी दोस्ती बढ़ती जाती है। एक दिन उनको तीन मर्डर करने का कॉन्ट्रैक्ट मिलता है और शर्त लगती है। जब बाबू शर्त जीतने लगता है तब चेला याने जतिन बाबू को गोली मार देता है और वह एक मशहूर कॉन्ट्रैक्ट किलर बन जाता है। लगभग 8 साल बाद जब बाबू वापस आ जाता है तो सबके होश उड़ जाते हैं और यहां से शुरू होती है बदले की कहानी! आगे में जानने के लिए आपको सिनेमा घर का रूख करना पड़ेगा।
फिल्म में गाने ठूंसे हुए नहीं लगते हैं। जब भी आते हैं मजा आता है। कहानी के फ्लो को तोड़ते नहीं हैं। फिल्म की जान इसका देसीपन है। जिस तरह से कैरेक्टर गालियां देते हैं, मजाक करते हैं और स्वाभाविक ढंग से चीजों को पेश करते हैं, वह उत्तर भारत की जिंदगी को बखूबी बयान कर देती है।