अगले वर्ष से साथ करवाए जा सकते हैं विधानसभा और लोकसभा चुनाव!

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 14 अगस्त 2017, 08:24 AM (IST)

नई दिल्ली। अगले वर्ष से कई राज्यों में लोकसभा और विधानभसा चुनाव साथ में कराए जा सकते हैं। अधिक से अधिक राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराए जाने पर चर्चा शुरू हो गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार माना जा रहा है कि इसमें तालमेल बैठाने के लिए अगले लोकसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2018 में भी करवाए जाने पर विचार किया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभा साथ में कराए जाने की मांग पहले भी की गई। वहीं पीएम मोदी भी दोनों चुनाव साथ में कराए की बात कह चुके हैं। पीएम मोदी कई बार कह चुके हैं कि लगातार होने वाले विधानसभा चुनावों से न सिर्फ सरकार की कार्यप्रणाली पर असर पडता है बल्कि इससे देश पर आर्थिक भार भी पडता है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अगले वर्ष से ऐसा हो सकता है। ज्ञातव्य है कि अगले वर्ष कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यहां लोकसभा चुनाव भी साथ में कराए जा सकते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस राजनीतिक परिवर्तन को समझने के लिए लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष सी कश्यप और कई सचिवों की राय जानने की कोशिश की जा रही है। वहीं चुनाव तय समय से छह महीने पहले तक करवाए जा सकते हैं, की जांच की जा चुकी है।

इसके अनुसार इसमें बदलाव के लिए संविधान में संशोधन जैसे जटिल रास्तों की जरूरत नहीं पडेगी। रिपोर्ट के अनुसार संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि संविधान में ऐसा प्रावधान है कि तय समय से 6 महीने पहले तक चुनाव करवाए जा सकते हैं। यह काम चुनाव आयोग कर सकता है। इसके लिए किसी संविधान संशोधन की जरूरत नहीं पडेगी। हालांकि सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजनीतिक रूप से आम सहमति बनाने की होगी।

इन राज्यों में साथ कराए जा सकते हैं दोनों चुनाव:

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ज्ञातव्य है कि अगले वर्ष कई राज्यों में लोकसभा चुनाव अप्रैल 2019 में होने हैं। इन्हें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ और मिजोरम के साथ करवाया जा सकता है। ज्ञातव्य है कि इनमें से मिजोरम को छोडकर बाकी सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार है। इन सभी राज्यों की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2018 में समाप्त हो रहा है। वहीं अगर राजनीतिक दलों में सहमति बनती है तो तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में भी विधानसभा चुनाव भी इन चुनावों के साथ करवाए जा सकते हैं। इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल भी अप्रैल 2019 तक है।

आम सहमति सबसे बडी चुनौती:

विधानासभा और राज्यसभा चुनाव साथ में कराए जाने के लिए सबसे बडी चुनौती राजनीतिक रूप से आम सहमति बनाने की होगी। कश्यप का मानना है कि सभी राज्य सरकारों को इसके लिए राजी करना संभव नहीं है। पार्टियां अपने हिस्से का कार्यकाल छोडने पर इतनी आसानी से राजी नहीं होंगी। इसके लिए एक रास्ता यह हो सकता है कि अगर राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार है तो राज्य सरकार विधानसभा भंग करके जल्द चुनाव करवा सकती हैं।


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