मंगल पांडे ने चलाई थी आजादी की पहली गोली

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 13 अगस्त 2017, 4:26 PM (IST)

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में मंगल पांडे का नाम अग्रणी योद्धाओं के रूप में लिया जाता है जिनके द्वारा भडक़ाई गई क्रांति की ज्वाला से ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन बुरी तरह हिल गया था। मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तरी भारत में पूर्वी उत्तर प्रदेश के फैजाबाद ग्राम में दिवाकर पांडे के परिवार में हुआ था। मंगल पांडे के पिता दिवाकर पांडे साधारण से किसान थे। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। हर साल बाढ आने की वजह से फसल भी बर्बाद हो जाती थी।
मंगल पांडे जाति से ब्राह्मण थे। उन दिनों अंग्रेज केवल ब्राह्मण और मुसलमानों को ही सेना में भर्ती किया करते थे। उनका मानना था कि ब्राह्मण बडे विश्वास पात्र होते हैं। इसी के चलते मंगल पांडे को भी सेना में भर्ती किया गया। कहा जाता है की किसी ब्रिगेड के द्वारा उनकी आर्मी में भर्ती की गयी थी। 34 बंगाल थलसेना की कंपनी में उन्हें 6वीं कंपनी में शामिल किया गया, मंगल पांडे का ध्येय बहोत ऊँचा था, वे भविष्य में एक बडी सफलता हासिल करना चाहते थे।

कैसे मंगल पांडे बने विद्रोही-

यह घटना 31 जनवरी 1857 की है। उन समय छुआछूत की भावना समाज में बहुत ज्यादा फैली हुई थी। उच्च जाति के लोग खुद को श्रेष्ठ मानते थे और नीची जाति के लोग दब कर जीते थे। ऐसे ही एक दिन मंगल पांडे अपने लोटे में पानी भरकर खाना खाने बैठे ही थे कि अचानक एक कर्मचारी वहां आया जो भंगी जाति का था। उसे बहुत तेज प्यास लगी थी।

उस कर्मचारी ने मंगल पांडे से कहा पंडित जी, बडी तेज प्यास लगी है जरा अपने लोटे का पानी पीने दीजिये। मंगल पांडे ने उस कर्मचारी को पानी पिलाने से इंकार कर दिया और उसे दुत्कारा कि तू भंगी जाति का है, तुझे अपने लोटे से पानी नहीं पिला सकता।

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कर्मचारी ने कहा- पंडित जी, मुझको पानी पिलाने से आपका धर्म भृष्ट होता है लेकिन जब वो अंग्रेज आपको गाय और सूअर की चर्बी से बना कारतूस देते हैं और उस कारतूस को आप अपने मुँह से छीलते हैं तब आपकी जाति कहां चली जाती है? संयोग से वह कर्मचारी कारतूस बनाने के कारखाने में ही काम करता था और उसकी कही हुई बात एकदम सत्य थी।

मंगल पांडे को ये बात सुनकर बहुत गुस्सा आया कि अंग्रेज कारतूस बनाने में गाय और सूअर के मांस का प्रयोग करते हैं और उन्होंने अंग्रेजों का विरोध करने का निर्णय ले लिया। इसके बाद मंगल पांडे ने देखा कि अंग्रेज हमारे देश की जनता का बुरी तरह शोषण करते हैं तो उनके अंदर की ज्वाला और भड उठी।

मंगल पांडे ने कई लोगों को अपने साथ मिलाया और अंग्रेजों का खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया। मंगल पांडे अपने देश और अपने धर्म को बचाने के लिए अंग्रेजों से बगावत पर उतर आये। उनके साथ उनके कुछ साथियों ने भी अंग्रेजों का विरोध करना शुरूकर दिया। जब अंग्रेजों को ये बात पता चली तो उन्होंने सैनिकों को फटकारा और भला बुरा कहा।

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उस घटना के कुछ ही दिन बाद, 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अपने विद्रोह का बिगुल बजा ही दिया। मंगल पांडे सुबह ही अपनी बन्दुक और शस्त्र लेकर छावनी पहुंचे और उन्होंने अपने सभी साथियों को आवाज लगाई कि सभी लोग अपनी अपनी बैरक से बाहर आजाओ और इन अंग्रेजों को इस देश से खदेड दो। हमें भारत माता को इन अंग्रेजों से आजाद कराना है।

मंगल पांडे की आवाज सुनकर उनके कई साथी बाहर आ गए और सभी सैनिक आक्रोश से भरे हुए थे और अंग्रेजों से इस देश को आजाद कराना चाहते थे। तभी लेफ्टिनेण्ट जनरल ह्यूसन की नजर मंगल पांडे पर पडी। जनरल ह्यूसन ने एक सैनिक को मंगल पांडे को पकडने को कहा लेकिन वो सैनिक भी हिन्दू था इसलिए उसने मंगल पांडे को पकडने से इंकार कर दिया।

तभी लेफ्टिनेन्ट बाफ मंगल पांडे को पकडने को आगे बढा। लेफ्टिनेन्ट बाफ घोडे पर था उसको लगा था कि मंगल पांडे उसे देखकर घबरा जायेगा लेकिन मंगल पांडे ने बन्दुक निकाली और बाफ पर गोली चला दी। ये आजादी की पहली गोली थी, जो मंगल पांडे ने चलायी थी गोली की आवाज से पूरी छावनी में गूंज उठी।

ये गोली बाफ के घोडे को लगी और लेफ्टिनेन्ट बाफ नीचे गिर पडा। तभी जनरल ह्यूसन ने मंगल पांडे पर हमला करने की सोची लेकिन मंगल पांडे चौंकन्ने थे और उन्होंने जनरल ह्यूसन को गोली मारकर नीचे गिरा दिया। इसके बाद उन्होंने लेफ्टिनेन्ट बाफ को भी चाकू से गोदकर मार डाला।

सारे सैनिक चुपचाप खडे देख रहे थे कोई अंग्रेजों का कहना नहीं मान रहा था और ना ही मंगल पांडे का साथ दे रहा था। मंगल पांडे अकेले ही अभिमन्यु की तरह अंग्रेजों पर टूट पडे और पूरी छावनी गोलियों की आवाज से गूंज उठी।

तभी अंग्रेजों के ऑफिसर जनरल हियर्सी कहने पर एक मुसलमान सिपाही शेख पलटू ने मंगल पांडे को पीछे से धोखे से पकड लिया। इतने में अंग्रेजी लोग मंगल पांडे पर हावी होने लगे। सभी सैनिक अभी भी बुत बने खडे थे तभी जनरल हियर्सी ने आदेश दिया कि जो सैनिक मंगल पांडे को पकडने में मदद नहीं कर रहा है उसे तुरंत गोली मार दी जाये।

अब मंगल पांडे को लगा कि वह अंग्रेजों के चंगुल ने नहीं बच पायेंगे इसलिए उन्होंने खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने की भी कोशिश की लेकिन वो सफल ना हो सके। घायल मंगल पांडे को मुसलमान सैनिकों की मदद से गिरफ्तार किया गया।

आगे पढ़े . . . मंगल पांडे शहीद हुए-

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अदालत में मंगल पांडे पर मुकदमा चला और मंगल पांडे ने अंग्रेज अफसर की हत्या करना कुबूल कर लिया। इसके लिए मंगल पांडे को फांसी की सजा सुनाई गयी। मंगल पांडे को 18 अप्रैल 1857 को फांसी होनी थी लेकिन देश की जनता में मंगल पांडे की वीरता को देखकर जोश जाग उठा था और कोई भी जल्लाद मंगल पांडे को फांसी पर चढाने को तैयार नहीं था।

तब अंग्रेजों ने कलकत्ता से जल्लाद बुलाये और उनको ये खबर नहीं दी कि किसको फांसी देनी है और 8 अप्रैल 1857 को यानि फांसी की सजा से 10 दिन पहले ही मंगल पांडे को फांसी पर लटका दिया गया।

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