हामिद अंसारी अंतिम भाषण में भी मुस्लिमों पर सरकार को दे गए ये नसीहत

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 10 अगस्त 2017, 4:40 PM (IST)

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने गुरुवार को संसद में अपने अंतिम भाषण में एक बार फिर से अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया। साथ ही इस मामले पर सरकार को इशारों में नसीहत भी दी। ज्ञातव्य है कि बुधवार को भी हामिद अंसारी ने राज्यसभा टीवी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि देश के मुस्लिमों में घबराहट और असुरक्षा का माहौल है। ज्ञातव्य है कि हामिद अंसारी ने उपराष्ट्रपति के तौर पर लगातार 2 कार्यकाल पूरे किए हैं। हामिद अंसारी पहली बार 2007 में उपराष्ट्रपति बने थे। इसके बाद में 2012 में भी वह दोबारा उपराष्ट्रपति चुने गए। अब वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। अपने कार्यकाल के आखिरी दिन हामिद अंसारी ने राज्यसभा में कहा कि किसी भी लोकतंत्र की पहचान उसमें अल्पसंख्यकों को मिली सुरक्षा से होती है।

अंसारी ने कहा कि मैंने 2012 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के हवाले से कुछ कहा था। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं आज फिर उनके शब्दों को कोट कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि किसी लोकतंत्र की पहचान इससे होती है कि उसमें अल्पसंख्यकों की कितनी सुरक्षा मिली हुई है। अंसारी ने कहा कि अगर विपक्ष को खुलकर सरकार की नीतियों की अलोचना करने की इजाजत ना हो तो वह अत्याचार में बदल जाती है। हामिद अंसारी ने कहा कि साथ में अल्पसंख्यकों की जिम्मेदारी भी जरूरी है।

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उन्होंने कहा कि उनके पास आलोचना करने का अधिकारी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे संसद को बाधित करें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सफलता चर्चा में है ना कि उसको बाधित करने में। उपराष्ट्रपति की इस बात पर सदन में तालियां बजीं।

साथ ही हामिद अंसारी ने अपने विदाई भाषण में राज्यसभा के सदस्यों को धन्यवाद दिया और शुभकामनाएं दी। अंसारी ने शायराना अंदाज में धन्यवाद दिया। अंत में उन्होंने कहा कि आज खत्म करें दास्ताने इश्क, अब खत्म आशिकी के फसाने सुनाएं हम।

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