पटना। बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल दो दलों में जारी सियासी घमासान के बीच मंगलवार की शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव की बंद कमरे में करीब 30 मिनट तक बातचीत हुई। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में अनुसार मंगलवार की शाम बिहार मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें कुल 17 एजेंडों को स्वीकृति दी गई। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में तेजस्वी सहित राजद कोटे के सभी मंत्रियों ने भाग लिया। राजद के एक नेता ने बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक के बाद तेजस्वी नीतीश के कक्ष में गए, जहां दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई।
इस दौरान बिहार कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष तेजस्वी अशोक कुमार चौधरी भी मौजूद थे। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई, इसकी जानकारी अभी मीडियो को नहीं दी गई है। लेकिन, इतना जरूर है कि महागठबंधन पर छाये खतरे को दूर करने की कांग्रेस की कोशिश सफल होती दिख रही है। कांग्रेस दोनों नेताओं को एक-दूसरे के सामने बिठाने में सफल रही। आपको बात दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद तेजस्वी और नीतीश के बीच यह पहली मुलाकात है।
आरजेडी नेताओं ने मीडिया से बनाई दूरी
मीटिंग में पहुंचने से
पहले आरजेडी के सभी मंत्री लालू से मिलने उनके घर पहुंचे। इसके बाद
गाडिय़ों का एक काफिला लालू के घर से कैबिनेट मीटिंग के लिए निकला। खास बात
ये है कि इस मीटिंग से मीडिया को दूर रखा गया। तेजस्वी या बाकी मंत्रियों
से सवाल नहीं किए जा सकें, इसलिए मीडिया को सेक्रेटेरिएट के गेट से बाहर
निकाल दिया गया।
कांग्र्रेस की मेहनत लाई रंग!
सूत्रों के अनुसार, आरजेडी और जेडीयू के बीच जंग को समाप्त करने में कांग्रेस के दो सीनियर नेता अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद ने भी भूमिका निभाई। नीतीश ने कांग्रेस के नेताओं से कहा कि बतौर सीएम उन्हें अपने मंत्री पर लगे आरोपों को जानने का हक है। इसके बाद कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष और बिहार सरकार में मंत्री अशोक कुमार चौधरी को दोनों नेताओं को मिलवाने की जिम्मेदारी सौंपी। हालांकि, तेजस्वी नीतीश से मिलना नहीं चाहते थे। बाद में गुलाम नबी आजाद ने लालू प्रसाद से बात की और आने वाली परिस्थितयों से अवगत कराया। इसके बाद लालू ने भरोसा दिलाया कि तेजस्वी मिलने जाएंगे, लेकिन उन्होंने जेडीयू प्रवक्ताओं की ओर से दी जा रही धमकी बंद करवाने को कहा। वहीं, नीतीश ने भी तुरंत इस मुद्दे पर अपने सभी प्रवक्ताओं को बयान देने से मना कर दिया था।
महागठबंधन टूटने के बन गए थे हालात
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उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले एक सरकारी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की
उपस्थिति के बाद तेजस्वी उस कार्यक्रम में नहीं आए थे। इसके बाद उनकी
नेमप्लेट हटा दी गई थी। गौरतलब है कि सीबीआई ने लालू प्रसाद और बिहार के
उपमुख्यमंत्री एवं उनके बेटे तेजस्वी यादव सहित उनके परिवार के सदस्यों के
खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने सात जुलाई को पटना सहित
देशभर के 12 स्थानों पर छापेमारी की थी। यह मामला वर्ष 2004 का है, जब
लालू प्रसाद देश के रेलमंत्री थे और तेजस्वी की उम्र 14 साल थी।
आरोप
है कि उन्होंने रेलवे के दो होटल को एक निजी कंपनी को लीज पर दिलाया और
उसके एवज में उन्हें पटना में तीन एकड़ जमीन दी गई। भ्रष्टाचार के मामले
में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जद (यू), मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बेदाग
छवि को लेकर तेजस्वी पर इस्तीफे के लिए दबाव बनाए हुए है। हालांकि राजद
अध्यक्ष लालू ने स्पष्ट कर दिया है कि तेजस्वी के इस्तीफे का सवाल ही नहीं
उठता। उनका कहना है कि अगर कोई एफआईआर पर इस्तीफा देने लगे तो बहुतों को
इस्तीफा देना होगा।
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