आज राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव शुरू हो गए हैं। मुकाबला सत्ताधारी एनडीए की ओर से बिहार के पूर्व गर्वनर रामनाथ कोविंद और विपक्ष की ओर से लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार में है। चुनाव का रिजल्ट 20 जुलाई को और शपथ ग्रहण समारोह 25 जुलाई को होगा। अब भारत का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, यह तो 20 जुलाई को पता चल ही जाएगा लेकिन यह क्या आप यह जानते हैं राष्ट्रपति चुनाव होता कैसे है। आपको आपको बता दें कि हमारे देश में राष्ट्रपति चुनाव किसी आम चुनाव की तरह नहीं होते हैं, जहां पर आम जनता वोट डालती हो। इसका फैसला विधायक, सांसद की वोटों के आधार पर होता है। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि तो हम आपको राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया बताते हैं। आइए जानते हैं राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया के बारे में ...
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आज राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव शुरू हो गए हैं। मुकाबला सत्ताधारी एनडीए की ओर से बिहार के पूर्व गर्वनर रामनाथ कोविंद और विपक्ष की ओर से लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार में है। चुनाव का रिजल्ट 20 जुलाई को और शपथ ग्रहण समारोह 25 जुलाई को होगा। अब भारत का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, यह तो 20 जुलाई को पता चल ही जाएगा लेकिन यह क्या आप यह जानते हैं राष्ट्रपति चुनाव होता कैसे है। आपको आपको बता दें कि हमारे देश में राष्ट्रपति चुनाव किसी आम चुनाव की तरह नहीं होते हैं, जहां पर आम जनता वोट डालती हो। इसका फैसला विधायक, सांसद की वोटों के आधार पर होता है। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि तो हम आपको राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया बताते हैं। आइए जानते हैं राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया के बारे में ...
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प्रत्यक्ष नहीं अप्रत्यक्ष होते हैं राष्ट्रपति के चुनाव जनता द्वारा सीधे मतदान के बाद चुना गया नेता या प्रमुख प्रत्यक्ष चुनाव का उदाहरण है। इसी प्रक्रिया से मुख्यमंत्री का चुनाव होता है लेकिन राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से होता है। आपको बता दें कि साल 1848 में, लुई नेपोलियन को लोगों के सीधी मत से राज्य के प्रमुख के रूप में चुना गया था। नेपोलियन ने फ्रेंच गणराज्य को उखाड़ फेंका और दावा किया कि उनको जनता ने सीधा चुना है, तो वो ही फ्रांस के राजा है। इस घटना को ध्यान में रखते हुए, भारत के राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।
एकल हस्तांतरणीय मत से होता है चुनाव राष्ट्रपति चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा होता है। सभी सांसदों और विधायकों के पास निश्चित संख्या में मत हैं, हालांकि, हर निर्वाचित विधायक और सांसद के वोटों के मूल्य की लंबी गणना होती हैं।
इलेक्टोरल कॉलेज से होता है राष्ट्रपति का मतदानभारत के राष्ट्रपति निर्वाचन कॉलेज द्वारा चुने जाते हैं। इसमें संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। दो केंद्र शासित प्रदेशों, दिल्ली और पुद्दुचेरी के विधायक भी चुनाव में हिस्सा लेते हैं जिनकी अपनी विधानसभाएं हैं।
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सांसद के वोट की ताकत सांसदों के मतों के मूल्य करने का तरीका थोड़ा अलग है। सबसे पहले पूरे देश के सभी विधायकों के वोटों का मूल्य जोड़ा जाता है जो लोकसभा और राज्यसभा में चुने हुए सांसदों की कुल संख्या से भाग दिया जाता है। फिर जो अंक प्राप्त होता है, उसी से राज्य के एक सांसद के वोट का मूल्य निकलता है। अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है।
विधायकों के वोट की ताकतराज्यों के विधायकों के मत की गणना के लिए उस राज्य की जनसंख्या देखी जाती है। साथ ही उस राज्य के विधानसभा सदस्यों की संख्या को भी देखा जाता है। वोट का अनुपात निकालने के लिए राज्य की कुल आबादी से चुने गए विधायकों की संख्या से विभाजित किया जाता है। इसके बाद जो अंक निकलता है, उसे फिर 1000 से भाग दिया जाता है। फिर जो अंक प्राप्त होता है, उसी से राज्य के एक विधायक के वोट का अनुपात निकलता है।
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ऐसे होती है वोटों की गिनतीराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार की जीत सिर्फ सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से नहीं होती, साथ ही उसे सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल मूल्य का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल भी करना पड़ता है। आसान शब्दों में चुनाव से पहले तय हो जाता है कि जीतने के उम्मीदवार को कितना वोट या वेटेज हासिल करना होगा। उदाहरण के लिए, यदि 10,000 वैध वोट हैं, तो उम्मीदवार को दस हजार के आधे यानि 5000 के बाद एक अतिरिक्त वोट यानि 5001 मतों के बराबर है।
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