एमपी के मंत्री नरोत्तम की किस्मत पर 2 हफ्ते बाद

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 11 जुलाई 2017, 6:49 PM (IST)

जबलपुर। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पेड न्यूज मामले में तीन साल के लिए चुनाव लडऩे में अयोग्य ठहराए गए मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के भाग्य का फैसला अधर में लटक गया है। उन्होंने आयोग के फैसले को चुनौती दी है। उनकी याचिका पर सुनवाई मंगलवार को ही होनी थी, लेकिन अब दो सप्ताह बाद होगी। जबलपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता की प्रिंसिपल बेंच (मुख्यपीठ) ने सुनवाई की तारीख दो सप्ताह बढ़ा दी है। ऐसा मिश्रा के चुनावी प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र भारती द्वारा मामले को स्थानांतरित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर किए जाने के कारण हुआ।

भारती के अधिवक्ता विवेक तन्खा ने संवाददाताओं को बताया कि मंत्री मिश्रा द्वारा निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका और एक अन्य जनहित याचिका पर मंगलवार को प्रिंसिपल बेंच में सुनवाई शुरू होते ही उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले को स्थानांतरित कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में विशेष याचिका दायर की गई है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने सुनवाई की तारीख दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी।

उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई की तारीख बढ़ाने और सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर किए जाने से मिश्रा की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है, क्योंकि निर्वाचन आयोग मिश्रा को अयोग्य घोषित कर चुका है। मिश्रा फिर भी कह चुके हैं कि वह राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग मतदाता सूची में मिश्रा का नाम रखता है या नहीं। राजेंद्र भारती ने बताया कि उनकी ओर से सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी आठ जुलाई को दायर की गई है, जिस पर सुनवाई लंबित है। इसी आधार पर उच्च न्यायालय ने दो सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी है।

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वहीं मिश्रा के अधिवक्ता अनिल खरे ने संवाददाताओं को बताया कि, मंगलवार को कोई सुनवाई नहीं हुई, भारती के अधिवक्ता ने बताया कि उनकी ओर से सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिस पर न्यायाधीश ने सुनवाई दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी। भारत निर्वाचन आयोग का फैसला 23 जून को आया था। इसके वावजूद नरोत्तम मिश्रा दतिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक और राज्य के जनसंपर्क मंत्री बने हुए हैं। उन्होंने आयोग के फैसले के खिलाफ ग्वालियर खंडपीठ में एक याचिका दायर की थी, जिसकी पहली सुनवाई 30 जून को हुई, जिसमें आयोग के वकील ने जवाब के लिए समय मांगा तो अगली सुनवाई पांच जुलाई नियत हुई।

ग्वालियर में अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते पांच जुलाई को मिश्रा और प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र भारती ने अपनी पैरवी स्वयं की थी, जिसमें सुनवाई की अगली तारीख 10 जुलाई तय की गई थी। मिश्रा ने इस मामले को जबलपुर उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करवा लिया, जिस पर सुनवाई 11 जुलाई को होनी थी। इसी बीच जबलपुर निवासी सुरेंद्र दुबे की तरफ से एक याचिका जबलपुर उच्च न्यायालय में दायर की गई, जिसमें आयोग के फैसले के बावजूद मिश्रा के मंत्री व विधायक रहने पर आपत्ति की गई है। इस पर सुनवाई की तारीख भी 11 जुलाई तय हुई थी। लेकिन मामला सर्वोच्च न्यायालय में चले जाने के कारण इस पर सुनवाई भी टल गई।

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