इलाहाबाद। अजी! यूपी का थाना डूब रहा है। वर्दी वालों को मदद चाहिये। आप चौकिये नहीं। यह हकीकत है। इलाहाबाद के हंडिया थाने में दफ्तर से लेकर लाॅकअप और आवास से लेकर परिसर तक पानी ही पानी है। हालात ये हैं कि थाने से पुलिस निकल नहीं सकती और जनता पहुंच नहीं सकती। थाने में जगह नहीं कि अशांति फैलाने वालों को लाॅकअप में डाला जा सके। यानी कानून व्यवस्था बारिश के भरोसे है। अगर पानी यूं ही बरसता रहा तो इलाहाबाद बुलाई गई एनडीआरएफ की टीम को बचाव एवं राहत अभियान यहीं से शुरू करना पड़ेगा।
अभी गत दिनों लखनऊ से जल भराव की कयी तस्वीरें सामने आयी थी। तो लोगों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से सवाल किये थे। लेकिन अब इलाहाबाद से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं। उस पर तो कोई जवाब भी देने को तैयार नहीं है। बता दें कि इलाहाबाद में गंगा जमुना के बढते जल स्तर से बाढ को लेकर हाई अलर्ट जारी हुआ है। लेकिन जिले के हंडिया इलाके में तो वर्दीधारियों के लिये आपात काल से हालात हैं। यहां बारिश ने ही नदी का रूप अख्तियार कर लिया है और पूरा हंडिया थाना परिसर ही जलमग्न है। थाने के लाॅकअप से लेकर कार्यालय में पानी घुस गया है। दारोगा जी को बैठने की जगह नहीं मिल रही। तो फरियादी थाने नहीं पहुंच पा रहे। कभी मेज इस कोने से उस कोने खसकायी जा रही है तो कभी मेज के उपर पैर रखकर खुद को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
आश्चर्य की बात यह है कि यह सब तब हो रहा है जब लाखों रुपये जल निकासी पर खर्च हो रहे हैं। करोड़ों रुपये से नाली-नाले बन रहे हैं। लेकिन चंद घंटे की बरसात भी सरकारी व्यवस्था नहीं झेल पा रही है।
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क्या है हालात
इलाहाबाद का हंडिया इलाका नगर पंचायत है। यह
इलाका पूर्व शिक्षा मंत्री राकेश धर त्रिपाठी का गढ है और पूर्वांचल की
राजनीति को डील करता है। यहां हंडिता थाना नेशनल हाईवे के किनारे छोर पर
मौजूद है। जो इस समय एक फिट से ज्यादा पानी में डूब गया है। न सिर्फ थाना
बल्कि पुलिस कर्मियों का आवास भी पानी से घिर गया है। बंदीगृह में इतना
पानी भरा है किया लहरे आ जा रही है। थाने तक पहुंचने के लिये गांठ बराबर
पानी से होकर लोगों को गुजरना पड़ेगा। पुलिस को थाने से बाहर निकलने के लिये
भी कोई दूसरा रास्ता नहीं है। यानी कानून खुद घेरेबंदी में है।
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इनसे सुनिये हाल
हंडिया
के पूरेसुदी गांव से थाने पहुंचे सुरेन्द्र ने बताया कि उनका पड़ोसी से जल
निकासी को लेकर विवाद हुआ। वह थाने शिकायत लेकर पहुंचे पहले तो थाने के
अंदर ही जाना पहाड़ था। पैंट मोड़कर किसी तरह अंदर पहुंचा तो अंदर का हाल
देखकर समझ मे नहीं आया कि आखिर यहां मदद किसे चाहिये। इसी तरह धनुपुर व चक
पुरेसिया गाव का भी मामला पहुंचा। पुलिस शांति भंग में इनका चालान करती।
लेकिन बंदीगृह में जगह ही नहीं थी। तो उन्हे समझा बुझाकर वापस भेज दिया
गया।
हंडिया के समाजसेवी व मीडिया पर्सन विनोद पाण्डेय ने बताया कि
पुलिस खुद ही परेशान है। ऐसे में वह दूसरों की मदद कैसे करे। अधिकारियों
को तो ख्याल ही नहीं है। उनके वर्दीवाले किस हाल में ड्यूटी कर रहे हैं।
गंदगी से परिसर बजबजा उठा है। थाने तो जाकर लोग बेहाल हाल देखकर लौट रहे
हैं। नाले नालियां पट गये है। सड़क पर अतिक्रमण है। पर डीएम का आदेश तक कोई
मानने को तैयार नहीं है।
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