देवाधिदेव महादेव को प्रिय सावन (श्रावण) मास 10 जुलाई से
प्रारम्भ हो गया है। इस मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व
है। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार श्रावण में ही समुद्र मंथन से निकला
विष भगवान शंकर ने पीकर सृष्टि की रक्षा की थी इसलिए इस मास में शिव आराधना
करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र
होने के कारण यह श्रावण या सावन का महिना कहलाता है। श्रवण नक्षत्र का
स्वामी चन्द्रमा है। इस मास में सूर्य संक्रांति कर्क राशि में होती है।
कर्क का स्वामी भी चंद्रमा है, अतः चंद्रमा के स्वामित्व वाला सोमवार भगवान
शंकर को अत्यन्त प्रिय दिन है।
श्रवण नक्षत्र के चारों चरण मकर राशि
में पडते हैं और मकर राशि का स्वामी ग्रह शनि है। शनि की दशा-अर्न्तदशा और
साढ़ेसाती से छुटकारा पाने के लिए श्रावण मास में शिव पूजा अमोघ फलदायी है।
इस मास में प्रतिदिन शिवोपासना, पार्थिव शिवपूजा, रुद्राष्टाध्यायी पाठ,
महामृत्युंजय जप आदि करने का विशेष महत्व है। शिवार्चन में शिव महिम्न
स्तोत्र, शिव ताण्डव स्तोत्र, शिव पंचाक्षर स्तोत्र, शिव मानस पूजा
स्तोत्र, रुद्राष्टक, बिल्वाष्टक, लिंगाष्टक, शिवनामावल्याष्टक स्तोत्र,
दारिद्रय दहन स्तोत्र आदि के पाठ करने का महत्व है। मंत्र-यंत्रों में
सर्वश्रेष्ठ महामृत्युंजय यंत्र (शिव यंत्र) की साधना सावन मास में करना
फलदायी होता है। जप तप आदि के लिए यह मास सर्वश्रेष्ठ है।
राशि के अनुसार विशेष शिव पूजा –
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मेष - बेल पत्र पर सफेद चंदन से श्रीराम लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करें।
वृष -सुख शांति के लिए तुलसी मंजरी और बिल्वपत्र के साथ शिवलिंग पर दूध और शर्करा मिश्रित जल चढ़ाएं। शिवपंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें।
मिथुन शहद मिश्रित जल से अभिषेक करें। हरा वस्त्र और हरे फल शिव मंदिर में दान करें। ’हृीं ओम नमः शिवाय हृीं’ मंत्र का जप करें।
कर्क- कपूर मिश्रित जल, दूध, दही, गंगाजल व मिश्री से शिवजी का
अभिषेक करें। दूब और बिल्वपत्र चढ़ाएं। ’ओम हृीं हृौं नमः शिवाय’ मंत्र का
जप करें।
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सिंह - मिश्री व जल से अभिषेक करें। बिल्वपत्र के साथ लाल पुष्प
शिवलिंग पर चढ़ाएं। आक की माला अर्पित करें। शिवमहिम्न स्तोत्र का पाठ
करें।
कन्या - दूध और शहद से शिव लिंग पर अभिषेक करें। बेलपत्र और
धतूरा अर्पित करें। आक की माला चढ़ाएं। रुद्राष्टक का पाठ करें, तो अपयश
तथा आर्थिक हानि से बच सकेगें।
तुला - सावन मास में दही और गन्ने के रस से अभिषेक करें। बेल
पत्र के साथ तुलसी और हारसिंगार की माला चढ़ाएं। शिव ताण्ड़व स्तोत्र का
पाठ करें।
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वृश्चिक - शिव लिंग पर गंगाजल के साथ दूब और बिल्वपत्र चढ़ाएं। लाल चंदन का तिलक करें। शिवाष्टोत्तरषतनामावली का जप करें।
धनु- कच्चे दूध में केसर, मिश्री व हल्दी मिलाकर शिवलिंग को स्नान
कराएं। हल्दी व केसर से तिलक करें। रुद्र गायत्री ’’ओम तत्पुरुषाय विद्महे।
महादेवाय धीमहि।। तन्नोरुद्र प्रचोदयात्।।’’ का जप करें। केला, आम, पपीता
का दान दें।
मकर - शनि की शांति के लिए घी, शहद, दही और बादाम के तेल से
अभिषेक करें तथा नारियल के जल से स्नान कराकर नीलकमल अर्पित करें। लघु
मृत्युंजय मंत्र ’ओम जूं सः’ का जप करें।
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कुंभ - इस राशि के जातक
तेल से अभिषेक करें, शिवलिंग पर जल के साथ दूब और बिल्वपत्र चढ़ाएं।
बीमारी अथवा शत्रुभय हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
मीन - श्रावण
मास में कच्चे दूध में हल्दी मिलाकर शिवजी को अर्पित करें। तुलसी मंजरी के
साथ बिल्वपत्र, पीले पुष्प, कनेर के पुष्प षिवलिंग पर चढ़ाएं। शिव
पंचाक्षर मंत्र ’ओम नमः शिवाय’ का जप करें।
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