एक किलो से भारी चुकंदर और गर्म इलाकों में सेब ... अजूबे से कम नहीं हैं अच्छरूराम

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 10 जुलाई 2017, 11:42 AM (IST)

मंडी। लीक से हट कर बागवानी व खेती करने वाले बिजली बोर्ड से सेवानिवृत सहायक अभियंता अच्छरूराम गौतम ने एक किलो से भी ज्यादा वजन का चुकंदर उगाकर किसानों व आम लोगों को हैरत में डाल दिया है। सेवानिवृत अच्छरूराम एक जाने-माने पोर्ट्रेट व लैंड स्केप पेंटिंग बनाने में भी माहिर हैं। साथ ही नाक से बांसुरी बजाने और योग में भी उनकी पकड़ है। इन सबके बाद भी अब उन्होंने बागवानी में आज आजमाते हुए यह नया कारनामा कर दिया है। अच्छरूराम मूल रूप से पुरानी मंडी के रहने वाले हैं और अब बल्ह घाटी के बगला में अपना बसेरा बना लिया है। बगला गांव समुद्रतल से महज 2500 फीट से भी कम उंचाई पर है और बेहद गर्म इलाका है। ऐसे गर्म इलाके में उन्होंने बड़े साइज के कलरफुल सेब उगा नया प्रयोग किया है, जबकि सेब की खेती या बागवानी के लिए कश्मीर की तरह ठंडे प्रदेश की जरूरत होती है।

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कहानी यहीं खत्म नहीं होती, उनके आंगन में और भी कई बड़े साइज के फल देखे जा सकते हैं। कुछ ही पौधों पर सेब की अच्छी फसल उगा कर चर्चित हो चुके अच्छरूराम गौतम ने अपने घर के बागीचे में ऐसे-ऐसे पौधों पर फल उगा दिए हैं जो पहली नजर में किसी को भी हैरत में डाल देते हैं। कई बार उद्यान महकमे के अधिकारी भी वहां जाकर इस पर आश्चर्य जता चुके हैं व उन्हें शाबाशी दे चुके हैं।
किसी भी पौधे पर फलदार पौधे की कलम लगाकर फल तैयार करने में माहिर अच्छरूराम ने इस बार चुकंदर की नई पौध तैयार की और अब इस पर एक किलो से भी ज्यादा वजनी चुकंदर तैयार हो चुके हैं। आमतौर पर सौ ग्राम का चुकंदर ही मार्केट में देखा जाता है मगर अच्छरूराम के नए प्रयोग का असर यहां देखा जा सकता है। इनके अलावा, लाल धतूरा, पीली मालती सहित कई औषधीय पौधे भी उगा चुके हैं। अब उनके बागीचे में नाशपाती कलम तैयार है। एक तरह से देखा जाए तो उनका यह छोटो सा बागीचा एक शोध योग्य जगह है।

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एक विशेष बातचीत में अच्छरूराम गौतम ने बताया कि वह यह सब कोई व्यवसाय के लिए नहीं करते, उनके पास गुजारे के लिए पेंशन आदि का प्रावधान है। यह सब उनका शौक है ताकि पढ़े.लिखे युवा खेती और बागवानी की ओर आकर्षित हो सकें। युवा गलोबल वॉर्मिंग जैसी चुनौतियों को स्वीकारते हुए खेती व बागवानी की ओर अग्रसर हों। उन्होंने बताया कि बल्ह के बगला में जाकर कोई भी किसान या बागवान यहां से ​नि:शुल्क मदद ले सकता है और इस तरह की सहायता के लिए वह हर समय तैयार रहते हैं।

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